वाराणसी (जनमत):- पूर्वोत्तर रेलवे,वाराणसी मंडल के अंतर्गत वाराणसी-प्रयागराज रेल खण्ड पर स्थित मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम मंडुवाडीह के स्थान पर बनारस करने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से मिल गई है। बुधवार को स्टेशन के प्लेटफार्म से लेकर मुख्य भवन पर बनारस के नाम का बोर्ड भी लग गया। नए बोर्ड पर हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू में बनारस लिख दिया गया है।
बीते वर्ष 17 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पूर्वोत्तर रेलवे के मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलकर बनारस किए जाने की अनुमति दी थी। अब इस स्टेशन का नाम हिन्दी में बनारस तथा अग्रेजी में बनारस होगा तथा इस स्टेशन का कोड BSBS होगा। इसके साथ ही काशी के विद्वत जन की माँग पर इस स्टेशन की नाम पट्टिका पर संस्कृत में भी इसका नाम (बनारसः) अंकित किया जा रहा है।
पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार से बात हुई तो उन्होंने बताया की रेलवे बोर्ड से स्वीकृति के बाद स्टेशन का नाम बदल दिया गया। स्टेशन के मुख्य द्वारा सहित परिसर व ऑनलॉइन भी इसे अपडेट कर दिया जाएगा। अब मुख्य द्वार पर बनारस स्टेशन के बोर्ड नजर आएंगे। मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वाराणसी किए जाने की मांग लंबे समय से लंबित थी, जिसपर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन को स्वीकृति दी थी।
मंडुवाडीह स्टेशन किसी बड़े प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट कार्यालय की तरह दिखाई देता है। यात्री सुविधाएं भी इसे अलग दिखाती हैं। प्लेटफार्म तक कार व अन्य वाहनों को ले जाने की भी सुविधा है। स्टेशन परिसर में विशाल प्रतीक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय, उच्च श्रेणी यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर, लिफ्ट, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वीआईपी लाउंज, पार्किंग, सेल्फी प्वाइंट, राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर के रूप में छोटी लाइन का इंजन, आधुनिक बुकिंग व आरक्षण कार्यालय, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम है।
इस स्टेशन को आई0एस0ओ सर्टिफिकेशन के साथ ही एस सर्टिफिकेशन भी प्राप्त है
इस स्टेशन को उन्नत यात्री सुविधाओं के रख-रखाव के लिए आई0एस0ओ सर्टिफिकेशन एवं साफ- सफाई के लिए कूल 5 एस सर्टिफिकेशन भी प्राप्त है। ज्ञातव्य हो कि आज रात 12 बजे (15 जुलाई,2021) से इस स्टेशन से जारी होने वाले टिकटों पर भी स्टेशन का नाम बनारस एवं स्टेशन कोड BSBS अंकित होकर जारी होगा ।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह नगर हिन्दू देवता शिव की नगरी रूप में भी विख्यात है और शिव की नगरी के पर्यायवाची शब्दों में बनारस भी क्षेत्रीय लोकाचार की भाषा में प्रसिद्ध है।
Posted By:- Amitabh Chaubey