महाराजगंज (जनमत):- खबर उत्तर प्रदेश के जनपद महाराजगंज से है जहा के ब्लॉक निचलौल के ग्राम सभा पैकौली कला के पूर्व ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा ने गलत तरीके से ग्राम पंचायत अधिकारी और कर्मचारियों के साथ मिल कर ग्राम सभा के मनरेगा के मजदूरों के जाब कार्ड पर अपना अपनी पत्नी जो की आंगनबाड़ी कार्यकत्री है अपने भाइयों, भतीजे तथा अपने परिवार के सदस्यो के साथ रिस्तेदारो के साथ ग्राम के कुछ दूर के जानने वाले लोगो का खाता लगाकर मनरेगा मजदूरी का लाखो रुपया हड़प लिया गया जिसके शिकायत ग्राम के ही रितेश पांडेय ने 30/07/2020 को तात्कालिक मुख्य विकास अधिकारी पवन अग्रवाल से किया मुख्य विकास अधिकारी ने एक टीम गठित कर के जाँच कराया जिस में ग्राम प्रधान पर लगाया गए आरोप को सत्य पाया गया जिस पर तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार अग्रवाल ने दोषियों पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।
किंतु सत्ता और शासन के दम पर मैनेज कर लिया| सिर्फ कागजों में ही कार्यवाही कर के मामले को ठंडे बस्ते में डाला दिया गया लाखो के गबन में भी कोई कारवाही नहीं की गई| करीब 2 साल बाद पुनः रितेश पांडेय ने 29/08/2022 को जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार से मिलकर सबूतों के साथ अपनी बात रखी और दोषिये के खिलाफ कारवाही करने की मांग की मामले के गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह से बात कर के इस मामले की जांच कर तुरंत कानूनी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया। क्योंकि यह मामला पूर्व मुख्य विकास अधिकारी पवन अग्रवाल के समय से चला आ रहा था लेकिन विभाग और कुछ लोगों के द्वारा यह मामला मैनेज कर लिया गया था। लेकिन भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक श्रीमती गीता देवी, और कंप्यूटर ऑपरेटर माधव प्रसाद द्विवेदी के ऊपर थाना कोठीभार में धारा 419 420 और 409 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।
जिलाधिकारी ने यह कदम सख्ती के साथ उठाया है। यह मामला पिछले करीब 2 साल पूर्व का है जिसमें ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा ने अपने समय में ग्राम सभा में हो रहे कई कार्यों में मजदूरों का नाम तो रखा था लेकिन उनकी खाता संख्या की जगह अपने रिश्तेदारों घर के सदस्यों और बाकी लोगों के खाते को अपडेट कराया था, मामले की जब जांच हुई तो सारा पोल खुल गया इसके पहले भी इसी ग्राम पंचायत में बिना काम कराए मनरेगा के पक्के काम के भुगतान करने के मामले में ब्लॉक में करीब 7 कर्मचारियों को तत्कालीन प्रभाव से बरख्त कर दिया गया था दोषी ग्राम पंचायत अधिकारी को निलंबित किया गया था।
भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था और शासन ने उनको तत्काल प्रभाव से निलंबन भी कर दिया था। लेकिन इस सारे मामले के मुख्य आरोपी ग्रामप्रधान अरविंद कुमार मिश्रा को राजनीतिक दबाव और प्रभाव के कारण उस मामले में भी बचा लिया गया था और उसके खिलाफ कोई कारवाही नहीं की गई थी उस समय भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज ना करके पूरे प्रकरण को दबा दिया गया था। लेकिन जिले में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के आने के बाद ग्रामीणों के द्वारा फिर से यह जानकारी जिला अधिकारी के संज्ञान में दी गई और हर तरह की जांच प्रक्रिया करने के बाद मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सेगरवाल के निर्देश में जिले के कोठीभर थाने में दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के क्रम में जिलाधिकारी ने यह कदम सख्ती के साथ उठाया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है की अभी भी कुछ लोगो के खिलाफ ही कार्यवाही की गई है बाकी जो लोग इसमें सामिल है उनको विभाग किसी ना किसी रूप में बचा रहा है चाहे वो ग्राम पंचायत अधिकारी हो या तकनीकी सहायक के खिलाफ एफआईआर कराया गया न ही विभागीय कारवाही हुई बिना इनके मिली भगत से इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है।
सवाल यह है की इस मामले को दो साल से दबाया क्यों गया कौन कौन अधिकारी कर्मचारी इसमें सामिल है किन किन को बचाया जा रहा है क्यों बचाया जा रहा है इन सवालों जवाब अभी बाकी है जबकि इसी मामले में तकनीकी सहायको और दो ग्राम पंचायत अधिकारियो से रिकवरी की भी कार्यवाही गई है उनका नाम एफ0आई0आर में क्यों नहीं है अब देखना दिलचस्प होगा कि जिलाधिकारी इनके खिलाफ कोई कारवाही करते है या इसको भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा मामला दो साल पहले का है इतने बिलंब के पीछे जो जिमेदार है उनके खिलाफ क्या कारवाही की जाती है ये तो अब आने वाला समय ही बतायेगा|