देश विदेश(जनमत).उत्तर प्रदेश भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंध के मामले में पुरे देश में दर्ज मामलों की संख्या के लिहाज से सबसे आगे है वही केरल दुसरे स्थान पर है. जब की पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया है। यह जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डेटा से सामने आई है।
इस डेटा से मिली जानकारी के अनुसार, धारा 377 के तहत साल 2016 में धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंधों के 2,195 मामले दर्ज किए गए जबकि 2015 में 1,347 और 2014 में 1,148 मामले दर्ज किए गए। साल 2015 में धारा 377 के तहत सबसे ज्यादा 239 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। दिल्ली में धारा 377 के तहत 183 मामले और महाराष्ट्र में ऐसे 170 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, इसी साल केरल और महाराष्ट्र में 159-159 मामले, हरियाणा में 111 मामले और पंजाब में 81 ऐसे मामले दर्ज किए गए। साल 2015 में देश में पंजीकृत 1,347 मामलों में से 814 मामलों में पीड़ित बच्चे थे। इसमें से 179 मामले उत्तर प्रदेश में, 142 केरल में, 116 महाराष्ट्र में और 63 हरियाणा में सामने आए थे।
जब की जिन मामलों में पीड़ित नाबालिग हैं, तो उन्हें आसानी से राहत मिलने की संभावना नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि सहमति से समलैंगिक संबंध मामलों में, उच्चतम न्यायालय का फैसला आरोपियों के लिए एक बड़ी जीत है। अब ऐसे आरोपी अदालत के आदेश का हवाला देकर राहत प्राप्त कर सकते हैं।
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