राजनीति (जनमत) :- झारखंड में सत्तापरिवर्तन के बाद जहाँ हेमंत सोरेन सूबे के मुखिया के तौर पर अपनी नयी पारी शुरू करने को लेकर तैयार नज़र आ रहें हैं वही दूसरी तरफ अबकी बार 65 पार कहने वाली भाजपा के हाथ मात्र 25 सीटें ही आयी हैं. झारखण्ड की जनता ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले महागठबंधन को इस बार सत्ता सौंपी है। आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के अनुयायी और राजनीतिक परिवार से आने वाले हेमंगत दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। इससे पहले उन्होंने 2013 में झारखंड के सबसे कम उम्र के सीएम के रूप में सत्ता संभाली थी। हेमंत के सियासी सफर को देखें तो शुरुआती असफलता के बाद उन्होंने कुछ ही सालों में बुलंदियां छूने में कामयाबी हासिल की है। 12वीं तक पढ़े हेमंत मेकेनिकल इंजीनियर बनना चाहते थे। उन्होंने कोर्स में प्रवेश भी लिया लेकिन पूरा नहीं कर पाए।
जिसके बाद शुरू हुआ उनका सियासी सफ़र 2003 में छात्र मोर्चा से राजनीति में कदम रखा था।
हालांकि, शुरुआती सफर अच्छा नहीं रहा और 2005 में अपने पहले विधानसभा चुनाव में ही हार का सामना करना पड़ा। इसी बीच, उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन का देहांत हो गया, जो शिबू सोरेन के उत्तराधिकारी माने जाते थे। इस घटना ने हेमंत का जीवन बदल दिया और राजनीतिक विरासत की जिम्मेदारी संभाली। इसी के साथ ही भाजपा का एक और किला ध्वस्त हो गया वहीँ हैरान करने वाली बात यह रही की जिस पार्टी ने अभी लोकसभा के चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक का वोट शेयर अपने नाम किया उसी पार्टी का कुछ ही महीने में 18 प्रतिशत वोट शेयर घट गया यह भी कहीं न कहीं भाजपा के लिए सोचनीय विषय जरूर है, हालाँकि इसके बाद पीएम मोदी ने हेमंत सोरेन को जीत की बधाई दी और झारखण्ड की जनता को अभी तक की सेवा के लिए धन्यवाद भी दिया है.
Posted By :- Ankush Pal