मोदी के अमृतकाल में मजदूरों के भूख का अकाल..कौन सुने इन मजबूर मजदूरों की मजबूरी ?

राजनीति

कौशांबी /जनमत/14 दिसम्बर 2024 मशीनों ने छिनी मजदूरों का मजदूरी…अब कौन सुने मजदूरों की मजबूरी जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप अमृतकाल के युग में अब कौन ही सुनने वाला है. इन मजदूरों की मजबूरी क्योंकि अब तो चुनाव भी बीत गए और अब आम कार्यकर्ता से सदन के नेता भी बन गए. अभी तो जनता के वोटो और खुन पसीनों की कुर्सी पर बैठन के दिन हैं अब अगला चुनाव आएगा तो एक और झुठे वादे कर लेंगे एक और जनता को झुठी उम्मादें दे देंगे…लेकिन जनता की समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे.

आपको बता दें कि कौशांबी ज़िले के सरायअकिल थाना क्षेत्र अंतर्गत नंदा का पुरवा घाट पर मज़दूरों ने जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से बालू निकासी को लेकर लामबंद हो गए है. मज़दूरों ने इसका विरोध करते हुए घाट पर प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि पोकलैंड मशीनों से नदी की धारा से बालू निकाला जा रहा है. जिसके चलते यमुना नदी में बड़े-बड़े गड्ढे बन रहे जिससे जल में रहने वाले जीव जंतुओं की मौत हो रही है.

मशीनों के कारण घाट किनारे बसे मज़दूरों को काम नहीं दिया जा रहा है. मज़दूरों की आवाज़ उठाते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्य मनीष कुमार निषाद ने कहा कि मशीनों से खुदाई से 20 से 30 फिट गहरा गड्डा हो जाता है. जिससे मज़दूर भखमरी के कगार पर है.

वहीं पट्टाधारक जगदीश प्रसाद ने कहा कि ये सब बेबुनियाद बाते हैं. सरकार ने मशीनों से खुदाई की छूट दी है, तो वहीं खनन अधिकारी ने मौके पर पहुंच कर स्थलीय निरीक्षण किया. उनका कहना था कि जितने का पट्टा हुआ है, वही पर खुदाई हो रही है. बात रही मज़दूरों की तो घाट पर जितना काम है उतने ही मज़दूरों को काम दिया जा सकता है. सब को कैसे काम दिया जाए.

 

    Published by Priyanka Yadav