उत्तर प्रदेश – जनपद – गोरखपुर :- कहावत है कि हाथी के दांत, खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और…लेकिन हम इस कहावत का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि रेलवे के दावों और हकीकत पर ये कहावत बिल्कुल मौजूं और सटीक बैठती है. हम बात कर रहे हैं पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा चलाई जा रही श्रावणी मेला स्पेशल ट्रेन की. ट्रेन में सीटों की उपलब्धता के साथ सुरक्षा और संरक्षा की गारंटी के दावे तो रेलवे कर रहा है. लेकिन हकीकत क्या है ये हम आपको दिखाते हैं. इस ट्रेन में न तो बैठने की जगह है और न ही सुरक्षा और संरक्षा की गारंटी. नतीजा कई श्रद्धालुओं को अपनी यात्रा कैंसिल कर ट्रेन छोड़नी पड़ी.
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गोरखपुर में पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय है. यहां से लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर साल सावन में बाबा धाम दर्शन के लिए जाते हैं. हर साल की तरह इस साल भी रेलवे ने बाबा धाम जाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई है. लेकिन, ट्रेन में अव्यवस्था और बदइंतजामी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है. न तो यात्रियों को बैठने के लिए जगह मिल रही है. न ही उनके सुरक्षा और संरक्षा की गारंटी है. देवघर में बाबा धाम के दर्शन के लिए गोरखपुर जंक्शन पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार से भी श्रद्धालु ट्रेन पकड़ते हैं. ऐसे में इन यात्रियों को ट्रेन छोड़ने की मजबूरी के बीच कितनी असुविधा हो रही है इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है. बाबा धाम जा रही कमलावती देवी बताती हैं कि महिलाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है. ट्रेन में ज्यादा भीड़ है. ट्रेन में बैठने का इंतजाम नहीं है. कांवरियां यात्रा पूरी नहीं कर पा रहे हैं. सरकार को सुविधा देनी चाहिए.
श्रद्धालु रीता देवी बताती देवघर जा रही हैं. वे बताती हैं कि इतनी गर्मी में ट्रेन खचाखच भरी हुई है. ऐसे में वे ट्रेन में चढ़ नहीं पाईं. नतीजा उन्हें स्पेशल ट्रेन छोड़नी पड़ी.श्रद्धालु केदारनाथ मौर्या कांवड़ लेकर बाबा धाम के लिए निकले हैं. वे बताते हैं कि ट्रेन में कोई सुविधा नहीं दिखाई दे रही है. यात्रियों की संख्या अधिक है. एक स्पेशल ट्रेन पर्याप्त नहीं है. श्रद्धालु महेन्द्र सिंह भी बताते हैं कि स्पेशल ट्रेन में भीड़ अधिक भीड़ होने के कारण परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि सरकार को ट्रेन बढ़ा देनी चाहिए. जिससे श्रद्धालुओं को राहत मिल सके. रामभौल गुप्ता की भी ट्रेन छूट गई. वे बताते हैं कि ट्रेन में भीड़ बहुत थी और बैठने की व्यवस्था नहीं थी. सुविधाएं काफी कम मिल रही है. हमलोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.