रामपुर(जनमत). सपा के कद्दावर नेता आजम खां और राज्यसभा सांसद अमर सिंह की सियासी जंग जगजाहिर है। आजम खां ने लोकसभा चुनाव में जयाप्रदा को हरा कर अमर सिंह से अपनी सियासी जंग का हिसाब बराबर कर लिया है। लोकसभा चुनाव में आजम खां ने उनके विरोध के बावजूद जयाप्रदा को 2009 में मिली जीत का बदला भी ले लिया है। तब जयाप्रदा का विरोध करने पर अमर सिंह के दबाव में आजम खां को समाजवादी पार्टी से निकला भी गया था।
रामपुर में समाजवादी पार्टी 90 के दशक से लोकसभा चुनाव लड़ रही है, लेकिन 2004 तक जीत नहीं सकी थी। तब आजम खां ही जयाप्रदा को रामपुर लेकर आए थे। आजम खां ने पार्टी से उन्हें न सिर्फ प्रत्याशी बनवाया था, बल्कि पूरी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ाया था। जयाप्रदा ने 2004 में सपा का परचम लहरा दिया था, लेकिन कुछ रोज बाद ही जयाप्रदा और आजम के बीच खटास हो गई थी। कई साल तक दोनों के बीच तलवारों खिचीं रहीं और 2009 आते-आते खुलकर एक दूसरे के सामने आ गए।
आजम खां ने 2009 में सपा से जयाप्रदा को प्रत्याशी बनाने का विरोध किया, लेकिन अमर सिंह उन्हें प्रत्याशी बनवाने में सफल हो गए। आजम खां ने चुनाव में विरोध किया तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिया गया। हालांकि आजम खां चुनाव में जयाप्रदा का विरोध करते रहे, जिससे जयाप्रदा का चुनाव मजबूत होता रहा। आखिरकार आजम के विरोध के बाद जयाप्रदा चुनाव जीत गई थीं। आजम की सपा में 2011 में दमदार ढंग से वापसी हुई और 2012 के चुनाव में सपा की सरकार बनी। आजम खां आठ विभगों के मंत्री बने। इसके बाद अमर सिंह और जयाप्रदा को सपा से बाहर जाना पड़ा।
जयाप्रदा ने 2014 का लोकसभा चुनाव बिजनौर से रालोद के टिकट पर लड़ा था, लेकिन जमानत जब्त हो गई थी। इस बार भाजपा ने जयाप्रदा को दमदार प्रत्याशी मानते हुए आजम खां के सामने चुनाव लड़ाया, लेकिन सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन से चुनाव लड़े आजम के सामने उन्हें शिकस्त मिली। जिससे अमर सिंह द्वारा दी गई आज़म खान को चुनाव हारने की बड़ी चेतावनी रामपुर में आकर दी थी जो पूरी नही हो सकी और आज़म खान ने एक बार फिर जयाप्रदा को हारकर अमर सिंह ने मात दे दी।