गोरखपुर (जनमत) :- उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर का धार्मिक महत्त्व के मामले में अलग इतिहास रहा है इसका जीता जागता उदाहरण मियाँ साहेब के इमामबाड़े में देखने को मिल जाएगा ।मोहर्रम के महीने में इस इमामबाड़े में बाबा रोशन अली शाह की मजार पर जितनी भीड़ मुश्लिम धर्म के लोगो की नहीं होती उससे कही ज्यादा हिन्दू धर्म के लोगो की होती है. हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही बाबा की मजार पर आ रहे है और सबसे ख़ास बात यह है की 300 साल से रखी सोने चांदी की ताजिया जो लोगो के लिए श्रद्धा का केंद्र है।ऐसी मान्यता है की यहाँ आने वाले लोगो की मुराद कभी अधूरी नही रहती।
वहीँ एक श्रद्धालु ने बताया कि हम बचपन से मोहर्रम के समय इमामबाड़ा में सोने चांदी की ताजिया को देखने तो आते ही हैं साथ में बाबा से दुआ भी मांगते हैं और वह दुआ पूरी भी होती है हमारे पिता और माता भी बाबा की मजार पर आते थे। यही नहीं यहां पर मुहर्रम के समय में दूर-दूर से लोग सोने और चांदी की ताजियों का दीदार करते हैं।ये एक ऐसा इमामबाड़ा है जहाँ सोने चांदी की ताजिया है हर साल मोहर्रम में केवल 10 दिनों के लिए इसे बाहर निकाला जाता है और इसीलिए इसका महत्त्व बढ़ जाता है.इमामबाड़ा स्टेट मुग़ल काल के वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है इसके कुल चार बुलंद दरवाजे है इसका पूरब का फाटक तो हमेशा खुला रहता है लेकिनं अन्य फाटक मुहर्रम में ही खोला जाता है।