लखनऊ(जनमत):- शिक्षा का उजियारा फैलाने वाले इन अध्यापको के जीवन में अँधियारा छाया हुआ है। यहाँ तक की इनको जो मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए थी उससे भी यह महरूम है। सरकार से अपना यही दर्द बया करने के लिए लाखों की संख्या में अध्यापको ने लखनऊ के ईको गार्डन पार्क के मैदान में जोरदार धरना – प्रदर्शन किया। इन्होने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप भी लगाया है कि तीन साल की सरकार में उनके लिए कुछ नहीं किया गया बल्कि पहले से मौजूद उनके अधिकारों को ही योगी सरकार ने उनसे छीन लिया।
अब सरकार को आगाह किया है कि अगर उनकी अनदेखी हुई तो वह सड़को पर उतरने के लिए मजबूर हो जायेंगे। ये नज़ारा लखनऊ में ईको गार्डन पार्क के मैदान का है। और जो भीड़ देख रहे है यह अध्यापकों की भीड़ है। दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश के कोने – कोने से आये इन अध्यापको की संख्या लाखो में है। यह भीड़ शायद इनके दावों को पुख्ता भी करता है। यहाँ एकजुट होकर आवाज़ उठाने का मकसद इनका यह है कि सरकार इन गुरुओं की जायज मांगो को सुने और उसको पूरा भी करें।
ओमप्रकाश शर्मा ( विधान परिषद में रहे शिक्षक दल के नेता )
हालांकि ये लोग हैरान भी है। हैरानी की वजह भी यह है कि लाखों की संख्या में यह लोग अपने हक़ की आवाज़ बुलंद करने के लिए यहाँ एकजुट तो जरूर हुए है लेकिन सरकार का कोई प्रतिनिधि इनसे दोपहर दो बजे तक मिलने नहीं आया। चेतावनी भरे लहजे में इनका साफ कहना है कि वह आज खाली हाथ तो वापस यहाँ से जाने वाले नहीं है। भले ही इसके लिए इन्हे सड़को पर ही क्यों न उतरना पड़ें। अध्यापकों की यह भीड़ इनके आक्रोश का नतीजा है। अधिकारों की हक़ की लड़ाई में आपस में इनमे कोई मतभेद भी नहीं है। यही वजह भी है कि शिक्षकों के सभी गुट इस महारैली में शामिल है।
पिछले काफी समय से यह लोग अपनी मांगो को लेकर समय – समय पर आंदोलन करते रहे है लेकिन इनकी एक भी नहीं सुनी गई। आरोप है कि पुरानी पेंशन समेत कई अधिकारों को सरकार ने छीन कर उनका दमन करना चाहती है। यही वजह है कि योगी सरकार में इनके भत्ते को भी छीन लिया गया। अधिकारों में कटौती करने के पीछे का मकसद यह बताते है कि सरकार शिक्षा का निजीकरण करने की साज़िश रच रही है। हालांकि इनका यह भी साफ कहना है कि वह अपने अधिकारों को लेकर ही रहेंगे चाहे इसके लिए कैसा भी आंदलोन इन्हे क्यों न करना पड़े।