देश की धड़कन में है “हर पल अटल”

व्यक्त्ति-विशेष

व्यक्त्ति-विशेष(जनमत):- भारत रत्न और 3 बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की आज 95वीं जयंती मना रहा है देश।  देश में एक नहीं सैकड़ों लोग ऐसे हैं जिनके दिल में वाजपेयी आज भी ‘अटल’ हैं। वे जीवन भर राजनीति में सक्रिय रहे। नेहरू जी के बाद अटल बिहारी बाजपेयी  ही इकलौते ऐसे नेता  थे, जिन्होंने लगातार 3 बार प्रधानमंत्री पद  संभाला। अटल जी हर देशवासी की यादों में हमेशा रहेंगे। उनके किस्से-कहानियां अनेक हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म वर्ष 1924 में आज के ही दिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था|

वह अपने पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी के 7 बच्चों में  से एक थे। उनके पिता एक विद्वान और स्कूल शिक्षक थे और दादा थे पंडित श्याम लाल वाजपेयी अपनी प्रारंभिक शिक्षा  पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अटल जी लक्ष्मीबाई कॉलेज और कानपुर  में डीएवी कॉलेज चले गए। यहां से उन्होंने अर्थशास्त्र विषय में पीजी की उपाधि प्राप्त की।  आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने लखनऊ से  पीजी आवेदन भरा पर वो अपनी पढ़ाई जारी नहीं कर पाए। उन्होंने आर.एस.एस.(RSS) द्वारा प्रकाशित पत्रिका में बतौर संपादक नौकरी कर ली। आप को बता दे की  अटल जी ने शादी नहीं किया लेकिन उन्होंने बी एन कौल की दो बेटियों नमिता और नंदिता को गोद लिया।

अटल जी का जन्म ठीक उसी दिन हुआ, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी  कांग्रेस पार्टी के पहली और आखिरी बार अध्यक्ष बने थे| अटल जी लखनऊ से पांच  बार सांसद रहे साथ ही वो कवि भी थे| अटल जी एक ऐसे नेता थे जिन का विपक्ष भी कायल था| अटलजी बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी को सियासत के शून्य से शिखर तक पहुंचाया। अटलजी की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया सकता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बार किसी विदेशी  प्रधानमंत्री से उनका परिचय देश के भावी प्रधानमंत्री के रुप में करवाया था। अटल जी पहली बार वर्ष 1957 के लोकसभा चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे। वह दस  बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वह उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात से सांसद रहे। अटल जी ने वर्ष 1991 से अपने अंतिम चुनाव तक यानि 2004 तक लखनऊ लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया।

अटल जी पहली बार वर्ष 1996 में 13 दिन के लिए देश के प्रधानमंत्री बने और फिर वर्ष 1998 से 1999 तक यानि 13 माह के लिए दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। फिर  अंतिम और तीसरी बार वर्ष 1999 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहें। अटल जी ने वर्ष 2009 में राजनीति से संन्यास ले लिया। वहीं 25 दिसंबर, 2014 को अटल जी  को उनके जन्मदिन पर देश का सबसे बड़ा अवार्ड भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। अटल जी की राजनैतिक यात्रा का आरंभ एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई। वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा लेने के कारण वह अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। वर्ष 1954 में अटल जी बलरामपुर सीट से संसद सदस्य चुने गए हुए। छोटी उम्र के बावजूद अटल जी के विस्तृत नजरिए और जानकारी ने उन्हें राजनीति जगत में  सम्मान और स्थान दिलाने में मदद की।

वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने की पहल उनके व बीजेएस तथा आरएसएस से आए लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे साथियों ने रखी। स्थापना के बाद पहले 5 वर्ष अटल जी  भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है। उनके भाषण के सभी कायल रहे हैं। जब वो सदन में बोलते थे तो हर कोई उन्हें सुनना चाहता था। दक्षिण दिल्ली में ग्रेटर कैलाश-2 में अटल जी का प्रिय चीनी रेस्तरां था जहां वह प्रधानमंत्री बनने से पूर्व जाया करते थे।

वही आपको बाते दे की पुराने भोपाल में मदीना के मालिक बड़े मियां फख अटल जी का पसंदीदा मुर्ग मुसल्लम पैक करवा कर दिल्ली पहुंचवाया करते थे। साथ मे वो मिठाइयों के भी बहुत शौकीन थे। राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने के बाद अटल जी ने वकालत की  पढ़ाई भी डीएवी कॉलेज कानपूर से की। अपने बेटे को वकालत पढाई करता देख उनके पिता का भी मन वकालत करने को हुआ, तो उन्होंने भी उसी वर्ष एलएलबी में दाखिला ले लिया। आपकों ये जानकर हैरानी  होगी कि पिता-पुत्र दोनों एक ही क्लॉस में बैठकर पढ़ाई करते थे। डीएवी कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग के बोर्ड पर अभी भी अटल जी का नाम लिखा हुआ है।

अटल जी राजनीतिक सिद्धांतों का पालन करने वाले नेता थे। अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से करने वाले अटल जी का पत्रकारों को लेकर बहुत सरल व्यवहार रहा। कभी अपनी कविताओं और भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले अटल जी  स्वास्थ्य खराब होने के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए थे। वर्ष 2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और तब से वह अपने घर पर ही थे। अटल बिहारी वाजपेयी को कई सालो से बोलने और लिखने में भी तकलीफ होती थी। वह किसी को पहचान भी नहीं पा रहे थे।

 अटल जी को मिले पुरस्कार और सम्मान

  • देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
  • 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ।
  • वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया
  • वर्ष 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
  • वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान।
  • वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
  • वर्ष 2015 में बांग्लादेश द्वारा ‘लिबरेशन वार अवार्ड’ दिया गया।

हमारे  जनमत न्यूज़ परिवार की तरफ़ से  दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को  जन्मदिवस के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजली!….

Posted By:- Amitabh Chaubey