देश/विदेश (जनमत) :- भारत का पडोसी देश पाकिस्तान जहाँ एक तरफ अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर बेहद दबाव में हैं वही चीन से उसकी सदाबहार दोस्ती अब धीरे धीरे उसके लिए बेहद डरावनी साबित होने लगी है. वहीँ एक समाचार पत्र के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से चीन के क़र्ज़ को लेकर बड़े कदम उठाए जाने पर चीन को भारत की तरफ से कड़ा प्रतिरोध किए जाने का डर है, जो पहले ही सीपीईसी प्रोजेक्ट को पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से गुजारने को अपनी संप्रभुता का हनन बताते हुए विरोध जता चुका है। भारत का दावा है कि यह क्षेत्र उसके अखंड जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा है। इसे लेकर पाकिस्तान बेहद परेशान हैं.
चीन के शिनजियांग प्रांत को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट के कर्ज का बोझ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए भारी साबित होने लगा है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अपनी लगातार गिरती अर्थव्यवस्था से जूझ रहा पाकिस्तान इस कर्ज को उतारने के लिए अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का कुछ हिस्सा चीन को सौंप सकता है।
करीब 60 अरब डॉलर के सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान दिसंबर, 2019 तक चीन से करीब 21.7 अरब डॉलर कर्ज ले चुका था। इनमें से 15 अरब डॉलर का कर्ज चीन की सरकार ने और शेष 6.7 अरब डॉलर का कर्ज वहां के वित्तीय संस्थानों से लिया गया था। पाकिस्तान के सामने इस कर्ज को वापस लौटाना अब बड़ी समस्या बन गया है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त हो जाने से उसके पास महज 10 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार रह गया है। इससे पहले भी पाकिस्तान ने चीन से भारी संख्या में क़र्ज़ लिया था और पडोसी देश अब धीरे धीरे क़र्ज़ के बोझ तले दबता जा रहा है जिससे आने वाले समय में उसके लिए स्थिति और भी भयावह हो सकती है.