इनकी राहों में कच्चे घर नहीं आते…इसलिए सरकार को हम नज़र नहीं आतें….

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बदायूं (जनमत) :- “इनकी राहों में कच्चे घर नहीं आते…इसलिए सरकार को हम नज़र नहीं आतें”…वसीम बरेलवी की यह एक नज़्म गरीबी के दर्द को बयान करने के लिए काफी है. इसी कड़ी में यूपी के जनपद बदायूं के तहसील बिसौली क्षेत्र के गांव नौली हरनाथपुर  में गरीबी का दंश झेल रहें एक मंदबुद्धि परिवार के एक सदस्य ने दुनिया को अलविदा कह दिया. आपको बता दे कि  यह परिवार टपकते कच्चे घर में रहने को मजबूर हैं । इस परिवार पर ग्राम प्रधान  सहित प्रशासन ने भी ध्यान नहीं दिया जिसकी बजह से गरीबी के चलते और इलाज के अभाव में मंदबुद्धि और नेत्रहीन विकलांग ने आखिरकार दुनिया को अलविदा कह दिया.

इस परिवार पर कुदरत ने तो कहर बरपाया ही मगर सरकार के अधिकारी भी  सरकारी योजनाओं को गरीब की दहलीज तक पहुचाने में नाकाम साबित हो रहें है। परिवार को न तो पीएम आवास का लाभ मिल पाया और न ही विकलांगता पेंशन ही मिल पायी. इस परिबार में सिर्फ 5 लोग है जिनमे माँ गूँगी और बहरी है उसकी छोटी बेटी पागल और नेत्रहीन है और एकलौता बेटा भी गूँगा है जिसकी पत्नी भी मंदबुध्दि है ।  सिर्फ बड़ी लड़की के सहारे ही सब लोगों को रोटी मिल पाती है पूरा घर मिट्टी का बना हुआ है.लेकिन बारिश के चलते वह बिल्कुल  बर्बाद  और ख़त्म हो गया और नाम मात्र के घर  जिसमे छत के नामपर मात्र पन्नीयों  का सहारा है  में पूरा परिवार रहने को मजबूर है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकार की योजनाये अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक आखिर क्यों नहीं पहुच रही है या फिर मात्र कागजो के सहारे ही इन योजनाओ का बेडा पार हो रहा है, यह एक बड़ा सवाल  है.

Posted By:- Ankush Pal

Correspondent, Janmat news.