लखनऊ (जनमत):- जिस नाटकीय ढंग से कानपुर के बिकरू काण्ड का मुख्य आरोपी और 5 लाख रूपये का ईनामी बदमाश एमपी में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार हुआ था उसी नाटकीय ढंग से कानपुर में हुई एक मुठभेड़ में पुलिस ने उसे मार गिराया। तर्क दिया गया कि जिस वाहन से पुलिस बल विकास दूबे को लेकर कानपुर आ रहा था वह वाहन अचानक पलट गया।
वाहन पलटने से आरोपी विकास दूबे और उसमे सवार पुलिस कर्मी घायल हो गए। इसी दौरान आरोपी विकास ने घायल पुलिस कर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की थी। पुलिस ने उसे सरेण्डर करने को कहा लेकिन वह नहीं माना और पुलिस टीम पर फायर कर दिया। जवाबी फायरिंग में विकास दूबे को गोली लगी और वह घायल हो गया। बाद में हॉस्पिटल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। जिस तरह से विकास के इन्कॉउंटर की कहानी गढ़ी गई वह किसी फिल्मी स्क्रिप्ट की तरह है। मानो सब कुछ पहले से ही तय था। बस इतंजार था विकास दूबे का और वह जैसे ही यूपी पुलिस के हत्थे चढ़ा उसका काम तमाम हो गया।
बसपा,सपा और कांग्रेस समेत सभी ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इन पार्टियों का कहना है कि अपराधी का अंत तो हो गया लेकिन उसके मददगारों और संरक्षणदाताओं का भी चेहरा बेनकाब होना चाहिए। बिकरू में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर फरार हुआ 5 लाख रूपये का ईनामी बदमाश यूपी पुलिस को छकाने के बाद बेहद नाटकीय ढंग से उज्जैन के महाकाल मंदिर से एमपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया था। यहाँ गिरफ़्तारी होने के बाद आरोपी विकास दूबे को पहले चार्टेड प्लेन से यूपी लाने की बात कही गई लेकिन बाद में अचानक प्लान बदला और फिर उसे पुलिस के वाहन से यूपी लाया गया।
कानपुर में लाने के दौरान कानपुर नगर भौंती के पास अचानक वह वाहन पलट गया जिसमे विकास दूबे सवार था। बाद में ईनामी बदमाश के मुठभेड़ में मारे जाने की बात सामने आई। हालांकि जिस तरह से पुलिस मुठभेड़ में विकास दूबे मारा गया उसमे तमाम सवाल ही सवाल है । मसलन आरोपी लाया गया किसी और वाहन से और गाड़ी पलटी कोई और। इसके अलावा विकास से संबंधित खबर को कवरेज कर रही मीडिया को मुठभेड़ से पहले ही रोक दिया गया और कुछ देर बाद उसेक इन्कॉउंटर की बात सामने आ गई। ऐसे तमाम सवाल है जो पुलिस की स्टोरी पर उंगलिया उठा रहे है।
यही वजह भी है कि विपक्षी समाजवादी पार्टी ने मामले की जाँच की बात कही है। कानपुर के बिकरू काण्ड में पुलिस विभाग ने सीओ समेत अपने आठ जांबाज को गवा दिए थे। इनके शहीद होने और मुख्य आरोपी के फरार होने के बाद से माना जा रहा था कि विभाग अपने शहीद हुए पुलिस के जाबाजों का बदला भी जरूर लेगा और बदला लिया भी गया। हालांकि 2 जुलाई से 10 जुलाई के बीच जो भी घटनाक्रम हुआ है उससे यही लगता है कि योगी सरकार में बदला लेने की जो परंपरा शुरू हुई है। आने वाले समय में उसके और भी घातक परिणाम सामने आ सकते है। फिलहाल जरायम की दुनिया से अब एक आतंक का अंत जरूर हो चुका है।
Posted By:- Amitabh Chaubey