गोरखपुर (जनमत) :- दिन तो कट जाता है साहब लेकिन रात नहीं कटती… यह दुःख भरे अल्फाज बाढ़ से घिरे उन ग्रामीनों के हैं जिनका इस बार बाढ़ की तबाही ने सब कुछ छीन लिया है न रहने को छत बची है और न खाने को अनाज का एक दाना ही शेष है, बेबस ग्रामीणों पर मानसून के दौरान नदियां वज्रपात बनकर टूटती हैं और इनके आशियाने को तबाह करने के साथ ही जन जीवन भी अस्त व्यस्त कर देती हैं…
गोरखपुर मुख्यालय से महज 3 से 4 किलोमीटर दूर स्थित बहरामपुर में सड़कों तक पानी आ गया है, गांव के गांव पूरी तरीके से जलमग्न हो गएँ हैं वहीँ छतों पर पशु और घर की महिलाएं बच्चे सभी लोग सहारा लिये हुए हैं बावजूद इसके मुख्यालय से इतनी नजदीक होने के बाद भी कोई भी सरकारी तंत्र और मदद ग्रामीणों तक नहीं पहुंची है. जनमत न्यूज़ संवाददाता अभिषेक कुमार पाण्डेय ने इनके दर्द को साझा किया….
दरअसल गोरखपुर सहित प्रदेश के कई जिलो का हाल बाढ़ से बेहाल है… अन्य प्रदेशों के हालात भी लगभग ऐसें ही है…. इसी के साथ ही पूरा इलाका जलमग्न होता जा रहा है, इस दौरान इनका आशियाना तिनके की तरह बह जाता है…और देश का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद दाने दाने को बेहाल रहता है और इस पर प्रशासन पूरी तरह से मौन नज़र आता है.
Posted By:- Ankush Pal
Reported By:- Abhishek Pandey with Shanti Bhushan, Gorakhpur.