लखनऊ (जनमत):- लखनऊ के थाना पीजीआई इलाके में बदमाश दुर्गेश यादव की हत्या यूँ ही नहीं हुई बल्कि करोड़ों और लाखों रूपये के लेनदेन के विवाद में हुई। दुर्गेश की हत्या के बाद उसके कमरे में जब पुलिस ने तलाशी तो मृतक बदमाश दुर्गेश के द्वारा किये जा रहे फर्जीवाड़े का भी खुलासा हो गया।
दरअसल दुर्गेश ने सचिवालय में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर कई बेरोजगारों का लाखों रूपये हड़प लिया था। दुर्गेश के कमरे से तमाम फर्जी सरकारी दस्तावेज भी बरामद हुए। बरामद दस्तावेजों की तस्दीक से साफ हो गया कि मृतक दुर्गेश यादव ने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली थी। गिरफ्तार हुए आरोपी जनपद फिरोजाबाद निवासी मनीष यादव और लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार निवासी पालक ठाकुर ने भी पूछताछ में रूपये के लेनदेन की बात पुलिस को बताई थी। आरोपी महिला पलक ठाकुर ने भी कई लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए दुर्गेश को मोटी रकम दी थी। नौकरी नहीं लगने पर उसने दुर्गेश से रूपये वापस करने को कहा जिस पर वह टालमटोल कर रहा था। बुधवार की सुबह भी गिरफ्तार महिला पलक ठाकुर और मनीष यादव आधा दर्जन से अधिक हथियारों से लैस साथियो के साथ दुर्गेश यादव के थाना पीजीआई इलाके में वृंदावन सेक्टर – 14 स्थित उसके घर पहुचें थे। सभी ने दुर्गेश से रूपये वापस करने को कहा लेकिन वह बराबर मना करता रहा।
इस बीच रूपये वापस करने की मांग कर रहे आरोपी महिला समेत उसके साथियों ने दुर्गेश की जमकर लात – घूसों से पिटाई कर उसको लहूलुहान कर दिया बावजूद दुर्गेश ने रूपये वापस करने के लिए हामी नहीं भरी। बार – बार मना करने पर उत्तेजित हुए आरोपियों ने बाद में दुर्गेश को गोली मार दी और मौके से फरार हो गए। गोली से घायल से दुर्गेश यादव को हॉस्पिटल ले जाया गया जहा पर डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पूरे घटनाक्रम के सिलसिलेवार कई वीडियो भी वायरल हुए है जिसमे आरोपियों द्वारा दुर्गेश से रूपये लौटाने की बात कही जा रहे है और साथ में उसकी लात – घूसों से पिटाई भी की जा रही है।
इस तरह के वीडियो वायरल होने के बाद पहले से चौतरफा घिरी योगी सरकार में इस घटना ने फिर से साफ कर दिया कि योगी के राज्य में रामराज्य नहीं बल्कि गुंडाराज कायम है।