लखनऊ (जनमत) :- हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं बस ज़रुरत है हौसलों को उड़ान देने की, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसे भी हौसले हैं जो आर्थिक मजबूरियों के चलते टूट जाते हैं और गरीबी के बोझ तले मैडल लाने वाले कंधे इस कदर दब जातें हैं की दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती और मैडल की चमक रोटी के आगे फीकी लगने लगती है, इसी कड़ी में ताज़ा मामला राजधानी लखनऊ का है जहाँ सिमरन भारती जो एक सॉफ्ट टेनिस खिलाड़ी है और जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में सम्मानित भी किया गया और इनके खेल को सराहा भी गया, लेकिन पिता की असमय हुई मृत्यु ने न सिर्फ खिलाड़ी के कन्धों पर दो जून की रोटी का बोझ डाल दिया बल्कि एक बहिन की जिम्मेदारी ने नसीब से ऐसा खेला की सारे मैडल धरे के धरे रह गएँ.
जिसके बाद हौसलों की उड़ान ऐसी थमी की रोटी पर आकर ठहर गयी और दो वक़्त की रोटी की जद्दोजहद ने सारे सपनो पर मानो पानी फेर कर रख दिया.आपको बता दे कि इनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और देश की प्रतिभा दो वक़्त की रोटी के लिए दर दर भटककर लोगो से मदद मांगने के लिए मजबूर है, बड़ी विडम्बना है की जिन खिलाडियों को सरकार मैडल देकर पलकों पर बैठती हैं, वहीँ सितारें मुफलिसी की गर्त में मानो अपने दिन काटने को मजबूर हो जातें हैं और कोई भी इनकी सुध लेने वाला नज़र नहीं आता बचती है तो केवल मायूसी गरीबी और बेबसी….
Posted By:- Ankush Pal,
Reported By:- Ashish Kumar with Ankush Pal, Lucknow.