“श्रीराम मंदिर” के साथ संत रैदास की प्रतिमा हो स्थापित…..

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अयोध्या(जनमत: रामनगरी अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के साथ सभी प्रमुख तीर्थों, ऋषि मुनियों, संतों की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की जा रही है. अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासंघ ने राम जन्मभूमि परिसर में रैदास, कबीर दास समेत सभी प्रमुख तीर्थों, ऋषि मुनियों के साथ संत रैदास और कबीर दास की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की है. महासंघ के राष्ट्रीय संरक्षक व तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा है कि अगर ऐसा होता है तो अयोध्या की पावन धरा से समूचे विश्व में एक अनोखा संदेश जाएगा. यहां संत रैदास की प्रतिमा स्थापित होने से वर्षों से समाज में फैली छुआछूत की कुरीति समाप्त हो जाएगी.लंबे संघर्षों के बाद जब श्री राम जन्मभूमि परिसर में भगवान के जन्मस्थान पर राम मंदिर बन रहा है तो इसे राष्ट्र मंदिर का नाम दिया जा रहा है. कहा जा रहा है कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जन्म स्थान पर बन रहा मंदिर समूचे विश्व में आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बनेगा. ऐसे में श्री राम जन्मभूमि में अन्य संतों, महात्माओं, तीर्थों को स्थान देने की मांग उठ रही है. इसके पीछे मान्यता यह है कि भगवान के राम के जन्म स्थान पर भारत के सर्व समाज के संतों के स्थान पाने से एक अनोखा संदेश जाएगा. इससे भेदभाव समाज से पूरी तरह समाप्त हो जाएगा. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासंघ नामक संगठन आगे आ रहा है. संगठन के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता कर अपनी मांगों से अवगत कराया है.

 

अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय संरक्षक व तपस्वी जी की छावनी के संत परमहंस दास ने कहा है कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर बन रहा मंदिर राष्ट्र मंदिर है. इस मंदिर से पुन: भारत के विश्वगुरू बनने का सपना साकार होने वाला है. श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के साथ रैदास जैसे महात्मा संत की प्रतिमा स्थापित होने चाहिए. ऐसा होने से अयोध्या की धरती से समूचे विश्व में अनोखा संदेश जाएगा. साथ ही पूरे विश्व में जनसामान्य के मन में किसी भी समाज के प्रति हीन भावना उत्पन्न नहीं होगी. विश्व से अस्पृश्यता (छुआछूत) पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा. ऐसा संदेश रामनगरी से पूरे विश्व में भेजने की तैयारी है. परमहंसदास ने राम मंदिर परिसर में सभी तीर्थों द्वादश ज्योतिर्लिंग, बद्रीविशाल और सभी ऋषियों मुनियों चैतन्य महाप्रभू, आद्यशंकराचार्य, निंबाकाचार्य, रामानुजाचार्य, जगद्गुरू रामानंदाचार्य, कबीर दास, सूरदास और तुलसीदास सभी की प्रतिमाएं स्थापित करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि श्री राम जन्मभूमि परिसर में संत रैदास की भी प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए. ऐसा होने से मुगलकाल से समाज में कायम छुआछूत का भेद समाज से समाप्त हो जाएगा. वहीं अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश शुक्ला ने बताया कि अयोध्या के राम मंदिर से जातिवाद और छुआछूत को समाप्त करने का संदेश समाज में जाना चाहिए. इससे समाज पुरानी कुप्रथाओं से मुक्त होकर विकास के मार्ग पर अग्रसर होगा. इस उद्देश्य के साथ अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासंघ ने अयोध्या में संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें अपनी मांग ट्रस्ट के समक्ष रखने का निर्णय लिया गया.

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…

REPORT- AZAM KHAN, AYODHYA.