रिटायर कर्मचारी के भरोसे इंजीनियर साहब…चला रहें पूरा “विभाग”….

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फ़तेहपुर (जनमत):- उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर जिले में रुरल इंजीनियरिंग विभाग में सरकारी नियमों की खुलेआम जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। विभाग के प्रमुख और अधिशाषी अभियंता नीरज कुमार नियमों को ताक पर रखकर रिटायर्ड दागी कर्मचारी रविंद्र सिंह को ना केवल नियमित दफ्तर बुला रहे हैं, बल्कि उसे अभी भी सारी वित्तीय जिम्मेदारियां दे रखी है। दफ्तर खुलते ही रिटायर्ड कर्मचारी ऑफिस पहुंचता है और सारा विभागीय कार्य करना शुरू कर देता है। दरअसल फ़तेहपुर में रूरल इंजीनियरिंग विभाग में वरिष्ठ सहायक के पद से पिछले साल नवंबर महीने में रिटायर हुए रविंद्र सिंह पर साल 2001 में विभाग में घोटाले के बड़ा आरोप लगा था। शासन की तरफ से टीम गठित कर कराई गई जांच में दोषी पाया गया। जिसके बाद निलंबित कर दिया गया था।

वहीँ वर्ष 2004 में कार्रवाई के तौर पर घोटाले की बड़ी धनराशि की रिकवरी भी कराई गई थी। जिसके बाद शासन ने साफ निर्देश दिए थे कि किसी भी हालत में भविष्य़ में रविंद्र सिंह से वित्तीय कार्य ना लिए जाए, लेकिन वर्तमान एक्जक्यूटिव इंजीनियर ने  पूरी दबंगई से शासन के नियमों को धता बताकर योगी सरकार की करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की नीति को पलीता लगा रहे है। आरोप है कि विभाग से रिटायर रविंद्र सिंह की ठेकेदारों के बीच अच्छी पैठ है। और वो ठेकादरों और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के बीच रिश्वत की सेटिंग करतें है। इसीलिए साहब ने उसे रिटायरमेंट के बाद भी वित्तीय जिम्मेदारी दे रखी है। वहीं जब इस मामले में दफ्तर में विभागीय कार्य कर रहे रिटायर्ड कर्मचारी रविन्द्र सिंह से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि वह दफ्तर के अन्य कर्मचारियों को विभागीय कामकाज के तौर तरीके नही मालूम है। वह उन्हें सिखाने आते है।

जब हमने ने विभाग के एक्जक्यूटिव इंजीनियर नीरज कुमार से सवाल पूछा कि आखिर रिटायर्ड कर्मचारी दफ्तर में पूर्व के भांति क्यों विभागीय कार्य कर रहा है। इस पर जवाब देते हुए एक्जक्यूटिव इंजीनियर ने सरकार के कामकाज पर ही सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि विभाग के कई कर्मचारी रिटायर्ड हो चुके है। उनके रिटायरमेंट के बाद विभागीय कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। जिस सम्बंध में उन्होंने शासन को पत्र भी लिखा, लेकिन अभी तक कर्मचारियों की तैनाती नही की गई। फिर जो कर्मचारी हैं भी उन्हें विभागीय कार्यो का ही ज्ञान नही है। ऐसे में यदि रिटायर्ड कर्मचारी वित्तीय जिम्मेदारियों को संभालकर अन्य कर्मचारियों को कार्य करना सीखा रहा है तो इसमें क्या बुराई है। रही बात विभागीय घोटाले की तो उसने सरकारी धनराशि सरकार के खजाने में जमा कर दिया है। ऐसे में अब वह दोषी नही है।

PUBLISHED BY:- ANKUSH ..

REPORT- BHIM SHANKAR, FATEHPUR.