ऐसा परिवार जिसे आजतक सर ढकने की नसीब नहीं हुई छत…

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मथुरा (जनमत):- वाह! री किस्मत किसी को इतना दिया कि वह समेटे नहीं समेट पा रहा है और किसी को सर ढकने तक के लिए छत तक नशीब नहीं हो रही है। ऐसी ही दर्दभरी दस्ता सुनाते हुए एक महिला की आँखों से आँसू छलक उठे। चौमुहां विकास खंड के गांव सहार निवासी परवीन पत्नी रहमान हमारे कैमरे के सामने अपना दर्द बयां करते वक्त फपक- फपक कर रोने लगी। महिला ने बताया कि वह करीब 25 वर्ष से गांव सहार में रह रही है। गांव में खुद का उसके पास अपना मकान तक नहीं है वह किराए की जमीन पर पोखर के किनारे झोपड़ी डालकर अपने चार बच्चों के साथ किसी तरह गुजर बसर कर रही है। बेरोजगारी की वजह से आज उसका पूरा परिवार भुखमरी की कगार पर है। बड़ी बेटी की शादी किसी तरह से ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से कर दी लेकिन अभी दो बेटी और एक बेटा को लेकर वह इसी झोपड़ी में रह रही है। 25 वर्षों से अब तक गांव के प्रधान ने उसके परिवार को गांव में रहने तक के लिए पट्टे तक की जमीन नहीं दी।

इसलिए मजबूरन किराए की जमीन पर झोपड़ी डालकर रहना पड़ रहा है। हल्की सी बरसात, और हवा के एक झोंके से उसकी रूह कांप उठती है कि कही कोई अनहोनी न हो जाएं। इस लिए आंधी, बरसात आने पर उसे परिवार सहित पूरी रात जागकर गुजारनी पड़ती है। मनरेगा, उज्ज्वला, प्रधानमन्त्री आवास योजना, स्वच्छ भारत योजना के तहत शौचालय निर्माण जैसी अनेकों योजनाओं के लाभ से वंचित यह परिवार आज भी सरकारी मदद की आस लगाए हुए बैठा है। अब सवाल उठता है कि पात्र होते हुए भी अभी तक आखिर क्यों नहीं मिला उसे किसी सरकारी योजनाओं का लाभ, जबकि अपात्र लोगों को अधिकारी पात्र बताकर तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ दिला रहे हैं। कब खत्म होगा ये भ्र्ष्टाचार, ऐसा एक परिवार नहीं है और न जाने कितने परिवार के लोग इस तरह की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। चुनावों के वक्त नेता बड़े-बड़े वायदे करके चले जाते हैं लेकिन इनके द्वारा दिए गए वोट से जीत हासिल करने के बाद कोई भी इनकी तरफ मुड़कर नहीं देखता है। इसी तरह का नजारा अबकी बार भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में देखने को मिलेगा । अब देखना होगा कौन इनके दुख-दर्द का साथी बनता है।

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…