लखनऊ (जनमत):- श्रावण मास की कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से कांवड़ संघों की तरफ से यात्रा स्थगित करने की आधिकारिक जानकारी दी। राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट होने के बाद कोर्ट ने मामले को निस्तारित कर दिया है।
दूसरी तरफ केरल में कोरोना का पाजिटिविटी रेट लगभग 11 फीसदी होने के बावजूद बकरीद पर कोविड प्रोटोकाल में ढील देने के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया और मंगलवार तक इस पर केरल सरकार से जवाब तलब किया है।
कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा 9 जुलाई को ही सभी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि इस संबंध में कांवड़ संघों से वार्ता की जाए तथा उन्हें इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह कांवड़ यात्रा स्थगित करने के लिए राजी किया जाएजिसके उपरांत अधिकारियों द्वारा कावंड संघों से वार्ता की गई थी।कोरोना की संभावित तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए वार्ता के दौरान कांवड़ संघों ने इस साल भी यात्रा स्थगित रखने का निर्णय लिया । सीएम ने कहा था कि कावंड़ संघों की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार सभी नागरिकों की आस्था का पूरा सम्मान करती है।
सोमवार को यूपी सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए बताया कि कांवड़ संघ ने कांवड़ यात्रा स्थगित करने का फैसला किया है। कांवड़ संघों के यात्रा स्थगित करने के फैसलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने पूरा मामला निस्तारित कर दिया। वहीं, प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गई कि उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पाजिटिविटी दर 0.2 प्रशित है और टेस्टिंग व टीकाकरण में यूपी देश के सभी राज्यों में नम्बर वन है।
स्थानीय मंदिरों में कर सकते हैं जलाभिषेक
सावन मास की धार्मिक परंपरा के तहत 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होनी थी। कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए पिछले साल की तरह इस वर्ष भी कांवड़ संघों ने यात्रा स्थगित करने का फैसला लिया है। श्रद्धालु स्थानीय मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक कर सकते हैं। इस दौरान कोविड प्रोटोकाल का पालन करना अनिवार्य होगा।