लखनऊ (जनमत):- मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि कुल 312 अधिनियमों को निरसित किये जाने के सम्बन्ध में शासन के सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों से अनापत्तियां प्राप्त हुई, जिन्हें वर्तमान में अप्रचलित एवं अनुपयोगी होने के दृष्टिगत निरसित किया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में राज्य विधान मण्डल सत्र आहूत नहीं है।
नागरिकों एवं व्यवसाय पर विनियामक अनुपालन भार (रेगुलेटरी कम्प्लायन्स बर्डन) को कम करने की तात्कालिकता के दृष्टिगत सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों की संस्तुति के आधार पर 312 अप्रचलित एवं अनुपयोगी हो चुके अधिनियमों को उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के माध्यम से निरसित किये जाने तथा इसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन से इसे आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित कराने जाने का भी निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।
सातवें उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग द्वारा निरसन हेतु संस्तुत कुल 1430 अधिनियमों में से निरसन हेतु 960 अधिनियम शेष हैं। इन शेष 960 अधिनियमों में से 297 अधिनियमों तथा व्यापार की सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) के दृष्टिगत औद्योगिक विकास विभाग द्वारा निरसन हेतु सन्दर्भित किये गये 15 अधिनियमों (जिनमें से 04 अधिनियम ऐसे हैं जो राज्य विधि आयोग की सूची में सम्मिलित नहीं है तथा 11 अधिनियम ऐसे हैं|
जो राज्य विधि आयोग द्वारा निरसन हेतु संस्तुत अधिनियमों की सूची में भी सम्मिलित हैं) अर्थात कुल 312 अधिनियमों के निरसन के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों से अनापत्ति प्राप्त होने के आधार पर उन्हें निरसित किये जाने की कार्यवाही की जानी है।