हरदोई(जनमत):- 2022 विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से आहत बागियों ने राजनैतिक दलों की परेशानी बढ़ा दी है। हरदोई में समाजवादी पार्टी से टिकट न मिलने पर सपा में शामिल हुए सुभाष पाल ने कांग्रेस और भाजपा के बागी अखिलेश पाठक ने निर्दल प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया। दरअसल सुभाष पाल एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर बिलग्राम मल्लावां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके थे तो वही अखिलेश पाठक भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया।लिहाजा टिकट कटने से आहत बागी प्रत्याशियों ने आज अपना नामांकन दाखिल कर पार्टी प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा दी है।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आज कांग्रेस पार्टी से 159 बिलग्राम मल्लावां विधानसभा क्षेत्र से सुभाष पाल ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। दरअसल सुभाष पाल ने पहला चुनाव 2012 में पीस पार्टी के टिकट पर लड़ा था जिसके बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। 2017 के चुनाव में सुभाष पाल ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार झेलनी पड़ी थी लेकिन 2022 के इस चुनावी समर में समाजवादी पार्टी ने सुभाष पाल का टिकट काटकर बृजेश वर्मा टिल्लू को अपना उम्मीदवार बनाया। समाजवादी पार्टी से टिकट कटने से आहत सुभाष पाल ने समाजवादी पार्टी से बगावत कर दी और कांग्रेस में शामिल हो गए।इस बार सुभाष पाल ने कांग्रेस पार्टी से चुनावी मैदान में हैं।
(सुभाष पाल सपा के बागी अब कांग्रेस प्रत्याशी)
155 शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के बागी अखिलेश पाठक ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।अखिलेश पाठक ने 2012 का विधानसभा चुनाव शाहाबाद विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लड़ा था जिसमें उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी थी। 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं रजनी तिवारी पर दांव लगाया था।रजनी तिवारी ने बसपा के आसिफ खां बब्बू को नजदीकी मुकाबले में हराया था। अखिलेश पाठक 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद के लिए विधानसभा का टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने उन्हें नकार दिया और फिर से रजनी तिवारी को भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है।ऐसे में टिकट न मिलने से आहत अखिलेश पाठक ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी और आज निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।
सपा के बागी सुभाष पाल और भाजपा के बागी अखिलेश पाठक का दावा है कि उन्होंने अपनी पार्टी के साथ निष्ठा पूर्वक कार्य किया लेकिन उनके कार्य को दरकिनार कर दूसरे को पार्टी ने टिकट दे दिया। टिकट न मिलने से उनके समर्थकों में निराशा और रोष भी था जिसको लेकर उन्होंने चुनाव लड़ने का मन बनाया और अब चुनावी मैदान में हैं।