लखनऊ (जनमत) :- उत्तर प्रदेश में कोविड टीके की 32 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी है। जबकि 11 करोड़ 29 लाख से अधिक कोविड टेस्ट भी किए जा चुके हैं। 18+ आयु की पूरी आबादी को टीके की कम से कम एक डोज लग चुकी है, जबकि 90.53% वयस्क लोगों को दोनों खुराक मिल चुकी है। 15 से 17 आयु वर्ग में 96.24% से अधिक किशोरों को पहली खुराक मिल चुकी है और 71.67% से किशोरों को दोनों डोज लग चुकी है। 12 से 14 आयु वर्ग में 75.20% से अधिक बच्चे टीकाकवर पा चुके हैं, इन्हें दूसरे डोज लगाया जाना भी शुरू हो चुका है। कई जनपदों में बच्चों के टीकाकरण और वयस्कों के बूस्टर डोज लगाए जाने को और तेज किए जाने की जरूरत है।ट्रैक, टेस्ट, ट्रीट और टीकाकरण की नीति के सफल क्रियान्वयन से उत्तर प्रदेश में कोविड पर प्रभावी नियंत्रण बना हुआ है।
वर्तमान में प्रदेश में कुल 1097 एक्टिव केस हैं। पिछले 24 घंटे में पूरे प्रदेश में 138 नए केस की पुष्टि हुई, जिसमें, गौतमबुद्ध नगर में 70, गाजियाबाद में 20, लखनऊ में 11 नए केस शामिल हैं। इसी अवधि 186 लोग स्वस्थ भी हुए। जिन जिलों में केस अधिक मिल रहे हैं वहां सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क लगाया जाना अनिवार्य है। इसे लागू कराएं। लोगों को जागरूक करें। पॉजिटिव पाए गए लोगों के स्वास्थ्य पर सतत नजर रखी जाए।इसी के साथ ही एम्बुलेन्स संचालन से जुड़े कार्मिकों के विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है। पीड़ित/घायल लोगों के साथ अतिरिक्त संवेदनशीलता बरती जानी चाहिए। एम्बुलेंस के रेस्पॉन्स टाइम को कम से कम करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जा सकता है। वॉलंटियर्स को भी इस कार्य से जोड़ना होगा।सभी बहुमंजिला भवनों, अस्पतालों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि में अग्निशमन व्यवस्थाओं का सघन निरीक्षण किया जाए। पूरे प्रदेश में तत्काल अभियान चलाकर यह कार्य किया जाए। सभी फायर स्टेशन पूरी मुस्तैदी से कार्यरत रहें।
सड़क सुरक्षा के व्यापक महत्व को देखते हुए पुलिस, यातायात, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, परिवहन, नगर विकास, पीडब्ल्यूडी आदि संबंधित विभागों के परस्पर समन्वय के साथ जागरूकता अभियान की कार्ययोजना तैयार की जाए। 18 मई को इस कार्ययोजना के साथ प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ संवाद होगा, जिसके उपरांत सड़क सुरक्षा अभियान प्रारंभ होगा। बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। ट्रैफिक नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दी जानी चाहिए। यातायात नियमों के संबंध में प्रधानाचार्यों/प्राचार्यों/विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण कराया जाए। अभिभावकों के साथ भी विद्यालयों में बैठक हो। स्कूली बच्चों द्वारा जागरूकता विषयक प्रभात फेरी निकाली जानी चाहिए। लोगों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देते हुए पालन करने के लिए जागरूक किया जाए।सड़कों पर स्पीड ब्रेकर की खराब डिजाइन आए दिन दुर्घटनाओं का कारक बनती है। इस दिशा में विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। फिटनेस के मानकों पर फेल बसों को किसी भी दशा में सड़क पर न चलने दिया जाए।
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…