लखनऊ (जनमत) :– भारत जैसे देश में लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या 16 वर्ष से कम उम्र की है। जहाँ पर बच्चों में अन्धापन एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत के बच्चों में अन्धापन अन्य विकसित देशों की तुलना में 5 गुना ज्यादा पाया गया है। बच्चों में अन्धापन का मुख्य कारण काॅर्नियल अन्धापन, प्रीमैच्योरिटी की रेटिनोपैथी, जन्मजात मोतियाबिन्द, जन्मजात ग्लूकोमा और एम्बीलिया है।नेत्र रोगो से सम्बन्धित छोटी-छोटी बीमारियों का समय से निदान न किये जाने से स्थाई अन्धापन का कारण बनता है। जिसमें से 40 से 70 प्रतिशत तक बच्चों के अन्धापन को समय से उपचार करके दूर किया जा सकता है।
डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के नेत्र विभाग में बच्चों की समस्याओं हेतु नेत्र क्लीनिक प्रारम्भ की गई है जो कि अपने में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस सुविधा के द्वारा बच्चों में होने वाली आँख की बीमारियों का निदान किया जायेगा। विभाग में डा0 प्रोलिमा ठक्कर जो कि इस क्षेत्र में अनुभवी प्रशिक्षित एवं नेत्र चिकित्सक है के अधीन यह सुविधा प्रारम्भ की गई है, जिसे संस्थान के निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानन्द, चिकित्सा अधीक्षक डा0 विक्रम सिंह एवं विभागाध्यक्ष डा0 शिखा अग्रवाल के मार्गदर्शन में उक्त विभाग में चिकित्सा हेतु आने वाले बच्चों के नेत्र रोग के निदान हेतु एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी तथा निदान में सहायक होगा।
उक्त केन्द्र में विशेष तकनीक सेे बच्चों में होने वाले नेत्र रोगों का परीक्षण एवं उपचार किया जायेगा जिसमें बच्चों में होने वाली लगभग आँख सम्बन्धी सभी बीमारियों जैसे अपवर्तक त्रुटियाँ, एंबीलिया जन्मजात मोतियाबिन्द, जन्मजात ग्लूकोमा, जन्मजात पीटोसिस, जन्मजात नासोलैक्रिमल डक्ट रूकावट और समसपूर्वता की रेटिनोपैथी की जाँच और प्रबन्धन तथा बच्चों एवं वयस्क दोनों में भेंगापन के प्रबन्धन एवं उपचार हेतु उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी।
हाल ही में ’’इण्डियन जनरल आफ आप्थल्मोलाजी’’ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार भारत में विद्यमान आप्थल्मोलाजी सेटअप में से मात्र 28 प्रतिशत केन्द्रों पर पूर्णकालिक पीडियाट्रिक नेत्र संसाधन उपलब्ध है। अतः संस्थान में स्थापित उक्त सुविधा अपने में एक अद्वितीय उपलब्धि होगी तथा भविष्य में पूर्ण रूप से पीडियाट्रिक नेत्र उपचार के लिए उच्च गुणवत्ता के केन्द्र के रूप में कार्य करेगा।
REPORT- SHAILENDRA SHARMA…
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL..