जनमत विचार(जनमत) देश में जहाँ एक तरफ नौकरी नहीं हैं और बेरोजगारी से आज के नौजवान युवा की कमर टूट चुकी है वहीँ दूसरी ओर सरकारी विभागों और अन्य संस्थानों में अगर किसी की धाक है तो वो है “चाटुकार गण”… चाटुकारिता हर विधा में श्रेष्ठ विधा और सब मर्ज़ों की नायाब दवा है।इसलिए मैं किसी महान चाटुकार व्यक्ति की तलाश में हूं।जिससे गुरुमंत्र लेकर मैं अपने आगे की ज़िंदगी मे कुछ बेहतर कर सकूं।
खैर नौकरशाही तो चाटुकारों का चारागाह है, जहां आप को एक से एक चमन लोटते और चरते नज़र आएंगे।सच कहूं तो चाटुकारिता की सबसे बढ़िया ट्रेनिंग ब्यूरोक्रेसी से अन्यत्र कहीं मिल ही नही सकती! जहां दिन की शुरुआत ही वंदना से शुरू होती है।नौकरशाही किसी इंसान के बहुकोशिकीय से एक कोशिकीय होने की यात्रा है।यहां मनुष्य को अमीबा बनने की प्रशिक्षण दी जाती है।नौकरशाही से रिटायर होते-होते इंसान की रीढ़ की हड्डी टूट चुकी होती है।उदाहरण के लिए सबसे अच्छा नौकरशाह वही है जिसको झुकने को बोला जाए तो वह लेट जाए!आजकल तो क्या नया क्या पुराना सब ‘मैं तुमसे बढ़कर आई’ वाला हिसाब किताब है!
कुछ जरूरी बातें जो हम नौकरशाहों को ध्यान रखने की जरूरत है वह यह कि सबसे पहले अपने वरिष्ठ का परिचय इतने घनघोर तरीके से देना है कि अगर उसके बारे में बोलना शुरू किया जाए तो जब तक वरिष्ठकर्मी मुड़-मुड़ कर दो चार बार आपकी ओर मुस्कुराते हुए न देख दे समझो कि माइक नही छोड़ना! मौका मिले तो उसमें ‘आपका आशीर्वाद है’, ‘सब आपका ही किया हुआ है’, ‘आप नही रहते तो यह सम्भव ही न था’, ‘आप जैसा कोई अधिकारी आया ही नही’,मतलब मर्यादापुरुषोत्तम है कोई तो वह आपका बॉस, ऐसी ध्वनि उसके कान में बराबर जाते रहनी चाहिए!
साथ मे अगर कोई मीटिंग हो तो अपने पॉइंट से ज्यादा इस बात पर फोकस करना है कि आपका बॉस कब मुस्कुराता है और कब हंसता है, आपको स्वयं ही होठों के मुसकुराने की कोणीय विचलन को नाप लेना होगा और उसी उद्वेग से चवन्नी या अठन्नी मुस्कान बिखेर देनी होगी! और हां अगर बॉस बीच मे किसी पर गुस्सा हो गया तो तुरंत ही उनकी बात खत्म होने का इंतज़ार किए बिना कहने में देर नही करना चाहिए कि ‘सर मै इन लोगों से पहले ही बोला था’ या फिर मैंने कहाँ था कि आपका सख्त निर्देश है’..!और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अपने वरिष्ठ की बातों को कभी काटे नहीं! केवल उनकी बातों को सुने और आह्लादित होते रहे और हो सके तो उनसे उनका प्राइवेट नम्बर मांग कर एक छोटा ही सही लेकिन उनकी प्रशस्ति गायन करते हुए एक मैसेज जरूर कर दें! और जाने से पूर्व साथ मे एक फ़ोटू खिंचाने का निवेदन अवश्य कर लें। अवतारी पुरुष की महिमा अपरंपार है इसका कोई मौका न गवांए!एक जरुरी बात कि जब भी सीनियर कोई आदेश या सुझाव दे तो एक बार ‘सर’ तो कत्तई न बोले उसके लिए यह दिमाग मे बैठा ले कि कम से कम तीन बार ‘सर-सर-सर’ का चारण करना है!
प्रशिक्षण यही खत्म नही होती इस बात पर बराबर ध्यान रखना है कि साहब को क्या खाना पसंद है, इसके लिए उनके खास से संपर्क जरूर कर ले, या फिर कुछ ऐसा आइटम जो स्थानीय स्तर पर विशेष हो उसको जरूर परोसे! और खाना खिलाते समय बेवजह ही गिलास में पानी ,सलाद इत्यादि डालते रहे जिससे कि आपके साहब कह ही दे कि बस-बस मैं ले लूंगा आप कष्ट न करे! हां ये सब तो माइक्रो लेवल की बात हुई थोड़ा कैनवास बड़ा करें तो इस बात का ख्याल रखे कि अगर सरकार बदल गई हो तो दीवाल से लेकर कुर्सी पर बिछाने वाले तौलिया का रंग भी सरकार की मंशा के अनुरूप ही हो!
अंत मे साहब के आते-जाते वक्त उनके गाड़ी का दरवाजा खोलने का मौका किसी और को न दे!अगर उस समय चेहरा न दिखा तो फिर सारी मेहनत बेकार है! कुछ बातें तो अपने विभागीय लोगों से सीख रहा हूं, हां अगर आपमे से कोई इससे बेहतर चाटुकार बनाने को प्रतिबद्ध हो तो मैं भी आपका चेला बनने को तैयार हूं !और अंत मे “नौकरी के नौ काम दसवां सलाम”!चलिए भैया राम राम!
देवानन्द यादव
– आईआरटीएस