गोरखपुर (जनमत):- आप जानकर आश्चर्य हो जायेंगे की उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में एक ऐसा मंदिर है | जहाँ 54 सालों से लगातार हरि नाम संकीर्तन होता है | गोरखपुर के असुरन-पिपराइच मार्ग पर स्थित गीता वाटिका राधा-कृष्ण मंदिर भक्ति का प्रमुख केंद्र है। मंदिर की पहचान दुनिया भर में है | भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से पर्यटक यहाँ आकर राधा-कृष्ण की भक्ति में रम जाते हैं। इस मंदिर में विशेष आकर्षण का केंद्र हरि नाम संकीर्तन है, जो 54 वर्षों से अनवरत जारी है |
गीता वाटिका की स्थापना का इतिहास जाने पूरी बात :
गीता वाटिका की स्थापना संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने किया था। सालो पहले यह जमीन कोलकाता के सेठ ताराचंद घनश्याम दास की थी | जिसे गोयंदका गार्डन के नाम से जाना जाता था | 30 मई, 1933 में जमीन गीता वाटिका के लिए खरीद ली गई | 1934-35 में वहाँ भाईजी के रहने के लिए आवास बना।हनुमान प्रसाद पोद्दार अपने आवास के भूतल में 1945 में कीर्तिदा मैया, राधारानी व ललिताजी की मूर्ति स्थापित किए। इसके बाद वहाँ शुरू हुई भक्ति की धारा आज तक अनवरत रूप से प्रवाहित हो रही है |
54 सालों से अनवरत जारी हरिनाम संकीर्तन
गीता वाटिका में 12 सितंबर 1965 में गिरिराज परिक्रमा शुरू हुई और 1968 में भाईजी ने राधाष्टमी के दिन अखंड हरि नाम संकीर्तन की शुरुआत की | जिसका सिलसिला आज भी अनवरत जारी है | 22 मई, 1971 को भाईजी का महाप्रयाण हुआ | भाईजी की स्मृति में उनकी पत्नी रामदेई पोद्दार ने 13 दिसंबर,1975 को श्रीराधाकृष्ण साधना मंदिर का शिलान्यास किया था | मई-जून 1985 में यह बनकर तैयार हो गया | 21 जून,1985 को मंदिर में देव विग्रहों की स्थापना की गई | गीता वाटिका में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाष्टमी समेत आधा दर्जन से अधिक उत्सव वर्ष भर मनाए जाते हैं,जिसमें हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं | गीता वाटिका में वर्षभर उत्सव आनंद का उल्लासपूर्ण प्रवाह बहता रहता है |
मंदिर में है 16 गर्भगृह और 35 शिखर :
मंदिर में कुल छोटे-बड़े 16 गर्भगृह तथा 35 शिखर हैं | प्रधान शिखर की ऊंचाई 85 फीट है | यहाँ हिंदू समाज में प्रचलित सभी प्रमुख संप्रदायों के उपास्य विग्रहों की प्रतिष्ठा की गई है | जिनमें श्रीराधा-कृष्ण, श्री पार्वती- शंकर, श्री रामचतुष्ट, श्री लक्ष्मी-नारायण,गणेशजी,दुर्गाजी, श्री महात्रिपुर सुंदरी, श्री सूर्य नारायण, सरस्वती जी, कार्तिकेय जी, हनुमानजी आदि का विग्रह है | मंदिर के परिक्रमा पथ में वेद भगवान, उपनिषद, श्रीमद्भागवत महापुराण, श्री रामचरित मानस, श्रीमद्भगवद्गीता, शोध संगीत सुंदर झांकियों के रूप में विराजित हैं |
मंदिर में आने से मन को शांति मिलती है :
मंदिर में दर्शन करने आई श्रद्धालु सुमन गुप्ता ने बताया 10 सालो से मंदिर में आती हु मंदिर परिसर में आने से शांति मिलती है यहां पर हरी धुन सुनने को मन को शकुन मिलता है |