गोरखपुर (जनमत) :- मासूमों को फेंके नहीं, हमें दें…के तहत गोरखपुर जिला अस्पताल के पालना आश्रय में पहली बार एक लावारिस बच्ची आई है। बीते रात करीब 9 बजे कोई यहां एक बच्ची को छोड़ गया। बच्ची को पालना आश्रय में रखते ही अलार्म बज गया।इसके बाद जिला अस्पताल की मेडिकल टीम ने बच्ची को पालने से निकालकर अस्पताल में एडमिट किया। फिलहाल मासूम का इलाज चल रहा है। हालांकि, बच्ची को इस पालना आश्रय में कौन छोड़ गया, यह किसी को पता नहीं चला।
मासूमों को फेंके नहीं हमें दें, ये शब्द सुनने में जितने अच्छे लग रहे हैं, उतने ही अच्छे इसके मकसद हैं। जी हां, एक संस्था जो राजस्थान के बाद यूपी के गोरखपुर में पालना आश्रय स्थल के नाम से आई है। इस आश्रय पालना की शुरुआत की गई है।मां भगवती विकास संस्थान द्वारा “आश्रय पालना की शुरुआत 2022 अक्टूबर में गोरखपुर महिला जिला अस्पताल मैं की गई थी।
पालना के जरिए वह लावारिस बच्चे जिनके परिजन उन्हें पालना नहीं चाहते ऐसे बच्चों को आश्रय पालना में छोड़कर चले जाएं। जिसके बाद उन बच्चों की देखरेख संस्था और अस्पताल की जिम्मेदारी होगी।
सबसे पहले राजस्थान में आश्रय पालना की शुरुआत की गई थी। जहां अब तक राजस्थान में संस्था ने करीब 91 नवजात शिशु को सुरक्षित परित्याग किया है। जिसमें करीब 86 मासूमों की जान बचाई गई है। इस पालना को पूरी तरीके से हाईटेक बनाया गया है। बच्चा छोड़कर जाने वाले परिजनों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। जैसे ही पालना में परिजन बच्चों को रखते हैं। 2 मिनट बाद अलार्म बजेगा जिसके बाद गठित टीम आकर बच्चे को तुरंत ले जाएगी।
इस पालन आश्रय का पहले CMO से भूमि पूजन कराया और फिर सदर सांसद रवि किशन ने इसका उदघाटन किया था।गोरखपुर के CMO डॉ आशुतोष दुबे ने बताया, आश्रय पालना में पहली लावारिस बच्ची पाई गई है। बच्ची को कौन छोड़ कर गया इसकी पहचान गोपनीय रखी गई है। अब बच्ची का इलाज जिला अस्पताल में ही गठित टीम द्वारा किया जा रहा है। जल्द ही इस पालना की शुरुआत गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में भी कर दिया जाएगा।
REPORT- AJEET SINGH…
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL..