श्रीनगर(जनमत): 1990 में अज्ञात बंदूकधारियों ने जिस कश्मीरी पंडित को चार गोलियां मारी थी और उन्हें घाटी को छोड़ना पड़ा था, वह 29 साल के बाद अपनी सरजमीन पर लौट आए हैं और बुधवार को श्रीनगर में अपना कारोबार शुरू किया। रोशन लाल मावा ने कहा कि कश्मीर जैसी कोई जगह नहीं है। वाणिज्यिक केंद्र जाइनाकदल में कश्मीरी मुस्लिम व्यापारियों ने मावा का जबर्दस्त स्वागत किया। कारोबारियों ने ‘दस्तारबंदी’ से उन्हें सम्मानित किया।