लखनऊ(जनमत): उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक पत्रकार उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं । पत्रकारों के हितों की सुरक्षा को लेकर गंभीर दिख रही योगी सरकार के निर्देशों को पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार ठेंगा दिखाया जा रहा है । कुछ इसी तरह का एक मामला रामपुर में सामने आया है यहां पर एक पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक के गोपनीय कार्यालय मैं उस समय जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया । जब वह किसी मामले को लेकर पुलिस की कार्यशैली से हताश हो गया था ।
रामपुर में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मैं बतौर जिला संवाददाता कार्यरत उबेद खान का जमीन जायदाद को लेकर एक विवाद अपने सगे भाइयों से चल रहा है । वह इंसाफ के लिए लगातार अपने गृह क्षेत्र के थाना गंज पुलिस से इंसाफ की गुहार लगा रहा था । लेकिन पुलिस उसकी मदद करने के बजाय उसी का उत्पीड़न करने पर उतारू हो गई । 2 माह पहले उसे अपने भाई की पुलिस से शिकायत करने की सजा थाने में बनी हवालात मैं बंद होकर भुगतनी पड़ी थी ।
पीड़ित पत्रकार लगातार गंज पुलिस से इंसाफ की गुहार लगाता चला रहा था लेकिन उसे कहीं भी इंसाफ नहीं मिल पा रहा था । अंत में उसने इंसाफ पाने के लिए पुलिस कप्तान की चौखट पर दस्तक दी और सारे घटना क्रम से वहां तैनात पुलिसकर्मियों को अवगत कराया और देखते ही देखते उसने पुलिस कप्तान के आवास स्थित कार्यालय पर जहरीले पदार्थ का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया । पत्रकार के जहर खाने की घटना से कार्यालय में अफरा तफरी मच गई और पुलिसकर्मी उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल ले आए जहां पर उसका उपचार जारी है ।
पीडित पत्रकार के मुताबिक उसके पिता पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यरत थे । जिनकी वर्ष 2000 मैं मतदान के दौरान बूथ पर गोली लगने से मौत हो गई थी । जिसके बाद मृतक आश्रित के रूप में उसके बड़े भाई शुऐब खान को नौकरी मिली थी ।बावजूद इसके भाई ने उसके पुश्तैनी प्लॉट पर भी कबजा कर लिया जिसकी शिकायत वह बार-बार गंज पुलिस से करता चला रहा है पुलिस उसकी मदद करने के बजाय उसका ही उत्पीड़न करने पर उतारू है । इसी उत्पीड़न और गंज कोतवाल के उदासीन रवैया के चलते उसने जहर खाया है।