अग्रेजी शासन काल में बने सागरों को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के मद्देनजर डीएम ने किया निरीक्षण

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सिद्धार्थनगर/जनमत। जिलाधिकारी राजा गणपति आर ने भारत नेपाल सीमा से सटे अंग्रेजों के शासन काल में बनाए गए सागरों का निरीक्षण किया और इन सागरों को विकसित कर इनमें पर्यटन की संभावनाओं को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा की। आपको बताते चलें कि सिद्धार्थनगर जिले के भारत नेपाल सीमा से सटे क्षेत्र में अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में सात सागर बनाए थे इन्हीं सागरों से इस पूरे इलाके में पैदा होने वाले काला नमक धान व अन्य फसलों की सिंचाई पर्याप्त मात्रा में होती थी।

मौजूदा समय में वक्त बीतने के साथ-साथ यह सागर दिनों दिन छिछले होते जा रहे हैं। हालांकि आज भी इन्हीं सागरों के माध्यम से जमींदारी नहर प्रणाली के तहत इस इलाके के खेतों की सिंचाई होती है साथ ही मछली पालन का भी काम इन सागरो पर किया जाता है। यह सागर गौतम बुद्ध के स्तूप और शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के आसपास ही बनाए गए हैं। इसलिए यहां पर बौद्ध अनुयायियों की बड़ी तादाद इन स्तूपों का दर्शन करने आती रहती है। सिद्धार्थनगर जिला सिर्फ कृषि पर ही आश्रित है। ऐसे में यहां के लोगों के रोजगार के लिए पर्यटन एक अच्छा साधन हो सकता है।

पर्यटन की दृष्टि से इन सागरों का विकास कर यहां पर इसे पर्यटन स्थल के तौर पर स्थापित किया जा सकता है। इन्हीं संभावनाओं को तलाशने आये जिला अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि आज पर्यटन विभाग व जिले के अन्य अधिकारियों के साथ उन्होंने इस क्षेत्र का दौरा किया। इस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में कैसे विकसित किया जा सकता है इसकी संभावनाओं पर अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिद्धार्थनगर जिले के इस हिस्से को उनकी कोशिश होगी कि पर्यटन के लिए विकसित किया जाए।

REPORTED BY – DHARAMVEER GUPTA

PUBLISHED BY – MANOJ KUMAR