अपनी प्रेरणास्पद एवं ऊर्जामयी कविताओं से हिंदी पाठकों के बीच एक खास जगह बना चुके कवि सुयश कुमार द्विवेदी दिल्ली में सहायक लोक अभियोजन अधिकारी के रूप में कार्यरत है। सुयश की कविताओं में भाषा की सहजता, सरलता एवं शब्दों के चयन की उत्कृष्टता उन्हें एक साहित्य जगत में एक अलग स्थान प्रदान करती है। आइये सुयश की कविताओं से रुबरु होते है-
“तुम्हें प्रणाम”
ऐ मेरे देश के वीर जवान।
तुम्हें शत शत प्रणाम, तुम्हें प्रणाम
होते है हम जब निद्रा में विलीन,
भारत माँ की सीमाओं पर तुम होते लीन,
तुम ही हो मेरे देश भारत का अभिमान।
तुम्हें शत शत प्रणाम,तुम्हें प्रणाम।।
छिपे हुए आतंकियों ने जब जब है माँ पर वार किया,
अपने सच्चे पुत्रों को तब, भारत माँ ने आह्वान किया,
तुम चलते रहे अथक सदा,न लिया कभी विश्राम।
हे भारत माँ के सच्चे पुत्र!तुम्हे मेरा प्रणाम।।
यह जीवन तुमने धन्य किया,भारत को अर्पण करके
हर रोम हुआ पुलकित,उज्ज्वल खातिर इसके मरके।
हे रक्षक!हम निर्बल के,अमरता की तू पहचान।
तुम्हें शत शत प्रणाम,तुम्हे प्रणाम।।
शरीर को न शरीर समझ,इच्छाएं अगणनीय है,
माता पिता तेरे धन्य है,भारत के वंदनीय है
परिवार की परवाह न की, किया खुद का अवसान।
ऐ मेरे देश के वीर जवान!शत बार तुम्हें प्रणाम।। क्रमशः……….
यहाँ आपस मे युद्धरत हम,कारण है जाति,धर्म
तुम भारत जाति के हो भ्राता, सर्वोपरि तेरा कर्म,
ना तुम में कोई हिन्दू,सिख,ना है कोई मुसलमान
ऐ भारत देश के धर्म पुत्र!शत बार तुम्हें प्रणाम।
मातृ प्रेम,भ्रात प्रेम,सौहार्द भाव सीखा दो हमें,
घृणा,अहम का अंत हो,हम कुछ तो कर सके,
कर्म को रहे तत्पर सदा,विचार ना परिणाम,
ऐ भारत देश के वीर जवान!शत शत तुम्हे प्रणाम।।
सुयश कुमार द्विवेदी
सहायक लोक अभियोजन अधिकारी
दिल्ली
Email -suyashdubey85@gmail.com