उत्तरप्रदेश (जनमत):- दिन बुधवार तारिख 30 सितम्बर 2020 और समय तकरीबन सुबह के साढ़े दस बजे। लखनऊ कमिश्नरेट के कोतवाली काकोरी से 7 किलोमीटर की दूरी पर है भटट जमालपुर गांव। विभिन्न जाति और धर्म का मिलीजुली आबादी वाला एक छोटा सा गांव। इसी गांव में बुधवार की सुबह पेशे से दूध कारोबारी अंसार अली अपनी भैसों को चारा – पानी दे रहा था। तभी लोहे की रॉडनुमा नुकीले हथियारों से लैस कुछ दूरी पर स्थित पड़ोस के दलित समुदाय के 5 लोग अंसार अली के पास आते है। अंसार अली कुछ समझ पाता इससे पहले ही दलित समुदाय के लोगों ने गाली – गलौज करते हुए उस पर हमला कर दिया।
दर्ज हुई एफआईआर की कॉपी
आरोपियों के खूनी इरादे भांप अंसार के चाचा तकरीबन 52 वर्षीय बुजुर्ग सूबेदार उसको बचाने दौड़ते है तो हमलावरों ने उनपर लोहे की रॉड से हमला कर दिया। आरोपियों के हमले में बुजुर्ग सूबेदार की मौके पर ही मौत हो जाती है जबकि उनका भतीजा अंसार अली गंभीर रूप से घायल हो जाता है। दिन – दहाड़े वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी वापस अपने घर आते है और घटना को दूसरा रूप देने के लिए अपने शरीर पर राख लगा लेते है। पुलिस को घटना की खबर लगती है तो मौके पर पहुंचकर अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है। मृतक सूबेदार के बेटे आरिफ के मुताबिक उसके पिता की मौत हो चुकी थी फिर भी नाटकीय ढंग से पुलिस कर्मी उसके पिता को हॉस्पिटल ले जाते है और वहा पर सूबेदार की मौत होने की जानकारी पुलिस द्वारा दी जाती है।
आरोपियों के हमले का शिकार अंसार अली भी हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहा होता है। हालांकि डॉक्टरों के अथक प्रयासों से कई दिन बाद वह मौत को मात देने में कामयाब हो जाता है। अंसार अली भले भी मौत को मात दे चुका था लेकिन उसके शरीर पर पड़े घावों के निशान और पुलिसिया प्रताड़ना से अब वह बुरी तरह से टूट चुका है।
5 आरोपियों में 3 को नामजद कर 2 को बचाने के लिए कर दिया खेल
मामले में काकोरी पुलिस का खेल तब शुरू होता है जब उसे जानकारी होती है कि आरोपियों में जनपद लखीमपुर में तैनात पुलिस कर्मी अनूप गौतम भी है। वादी आरिफ के द्वारा काकोरी पुलिस को जो तहरीर दी गई थी उसमे पुलिस कर्मी अनूप गौतम और उसके पिता भगवान दीन का भी नाम था। हालांकि काकोरी पुलिस ने खेल करते हुए आरोपी पुलिस कर्मी अनूप गौतम और उसके पिता भगवानदीन का नाम हटाकर सिर्फ 3 लोग राम प्रसाद रैदास, रामदास और रामजी रैदास के खिलाफ धारा 302, 323 और 504 के मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज दिया। आगे खेल करते हुए पुलिस ने आरोपियों की तहरीर पर पीड़ितों के खिलाफ ही एससी / एसटी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। हैरान करने वाली बात यह भी है कि जल्दबाजी में मृतक बुजुर्ग सूबेदार अली के खिलाफ भी काकोरी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया।
इस मामले का दूसरा घायल अंसार अली जब ठीक होकर वापस आता है तो वह खुद पर हुए हमले की एफआईआर दर्ज कराने काकोरी कोतवाली जाता है। हालांकि पहले से ही मामले में एकपक्षीय कार्रवाई कर रही पुलिस ने अंसार अली की तहरीर पर मुकदमा न दर्ज कर उसको धमकी देकर थाने से चलता कर दिया। मामले के विवेचक इंस्पेक्टर रैंक के दिवाकर प्रसाद सरोज है। अपने परिवार का मुखिया गवा चुके आरिफ समेत अन्य परिजनों का आरोप है कि विवेचक दिवाकर सरोज द्वारा उन्हें ही धमकाया जा रहा है। पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत जब मुख्यमंत्री के जनसुनवाई केंद्र पर की तो पहले से ही आरोपों में घिरे विवेचक दिवाकर सरोज द्वारा आंख्या प्रस्तुत की गई कि गुण – दोष के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दलित पुलिस कर्मी के नाम पर ऐसे हुआ पीड़ितों को उत्पीड़न
अब दिवाकर सरोज और आरोपी पुलिस कर्मी अनूप गौतम के कनेक्शन को भी जानना यहाँ जरुरी है। दरअसल आरोपी पुलिस कर्मी अनूप गौतम दलित है और विवेचक दिवाकर सरोज भी दलित है। साथ ही दोनों पुलिस विभाग में भी है। दलित कार्ड को खेलते हुए दिवाकर प्रसाद समेत काकोरी पुलिस ने आरोपी अनूप गौतम और उसके पिता भगवानदीन को हत्या के आरोप से न सिर्फ बचाने का प्रयास कर रही बल्कि पीड़ितों के खिलाफ ही एससी / एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। एससी / एसटी एक्ट का मुकदमा एसीपी की संस्तुति के बाद दर्ज होता है। अब एसीपी काकोरी ने ऐसी कौन सी जाँच की जिसमे आरोपियों द्वारा एक व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है और दूसरे को भी मरा समझकर छोड़ दिया जाता है। ऐसे आरोपियों की तहरीर पर पीड़ितों के खिलाफ ही एससी / एसटी का मुकदमा दर्ज हो जाना अपने आप में ही समझने वाली बात है।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक मामले में आरोपी दलित पुलिस कर्मी अनूप गौतम और उसके पिता की काकोरी पुलिस की बड़ी डील हो चुकी है। इसी डील के चलते ही न सिर्फ लखीमपुर में तैनात पुलिस कर्मी अनूप गौतम और उसके पिता को हत्या के जुर्म से बचाने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि उल्टा ही दलित विवेचक दिवाकर प्रसाद सरोज समेत काकोरी पुलिस द्वारा पीड़ितों को ही डराया और धमकाया जा रहा है। इस मामले में एसीपी काकोरी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया था उनके द्वारा बताया गया कि बारावफात के चलते वो व्यस्त है। अगले दिन उनसे बात या फिर मुलाकात हो सकती है।