उत्तर प्रदेश (जनमत): राजधानी लखनऊ में कमिश्नरी लागू लोने के बाद पुलिस तो बेलगाम ही हो चुकी है। हत्या को दुर्घटना या फिर आत्महत्या बताना और हत्या जैसे संगीन मामलों में भी आरोपियों के खिलाफ नरमी दिखाने वाली लखनऊ पुलिस की कार्यशैली हमेशा ही सवालों के घेरे में रही है। हालांकि पुलिस की यही लापरवाही कभी – कभी उसी पर भारी पड़ जाती है। हत्या जैसे संगीन मामले में आरोपियों के खिलाफ पुलिस की नरमी का ऐसा ही मामला लखनऊ कमिश्नरी के थाना काकोरी इलाके का है।
यहाँ एक दलित सिपाही और उसका परिवार बेहद मामूली सी बात पर एक बुजुर्ग की पीट – पीटकर हत्या कर देता है और एक युवक को मरा समझकर उसे अधमरा छोड़कर मौके से फरार हो जाते है। और तो और वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी पुलिस कर्मी और उसके परिजनों की तहरीर पर काकोरी पुलिस मृतक समेत उसके परिवार के अन्य लोगों के खिलाफ ही एससी / एसटी के तहत मुकदमा दर्ज कर लेती है। स्थानीय पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ मृतक के परिजनों ने आईपीएस अधिकारी एसीपी काकोरी से शिकायत की लेकिन पीड़ितों की कोई सुनवाई नहीं। मृतक के परिजनों समेत ग्रामीणों की नाराज़गी का आलम यह हो चुका है कि सुलग रही चिंगारी कभी भी गांव में बड़ा रूप ले सकती है।
दरअसल मामला 30 सितम्बर की सुबह है। थाना काकोरी के भटट जमालपुर गांव में पेश से दूध कारोबारी अंसार अली और उसके चाचा 52 वर्षीय सूबेदार भैसों के लिए चारे – पानी की व्यावस्था कर रहे थे तभी लाठी – डण्डे और लोहे की रॉड से लैस पड़ोस के दलित समुदाय के लोग वहा आते है और कुछ समझ पाने से पहले ही अंसार और उसके चाचा को भद्दी – भद्दी गालियां देते हुए उसपर हमला कर देते है। लोहे की रॉड से किये गए आरोपियों के हमले में 52 वर्षीय सूबेदार की मौके पर ही मौत हो जाती है जबकि अंसार को आरोपी मरा समझ कर मौके से फरार हो जाते है। घटना की भनक जब मृतक के परिजनों को लगती है तो मौके पर भागते और दोनों को हॉस्पिटल ले जाते है। हॉस्पिटल में सूबेदार को मृत घोषित किया जाता है जबकि गंभीर रूप से घायल अंसार का डॉक्टर ईलाज करते रहते है।
इस मामले में मृतक के परिजनों की ओर से काकोरी थाने में 5 आरोपियों के खिलाफ लिखित तहरीर दी गई लेकिन पुलिस ने दबाव बनाते हुए न सिर्फ तहरीर बदलवा दी बल्कि आरोपियों के नाम भी कम कर दिए और सिर्फ तीन लोगों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया । हैरान करने वाली बात यह है कि जो मुख्य आरोपी था पुलिस ने उसी पर और उसके पिता के खिलाफ नरमी दिखाते हुए सारे नियम – कानून बदल दिए। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है मुख्य आरोपी अनूप गौतम जनपद लखीमपुर में पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर तैनात है और दूसरे आरोपी भगवान दीन उसके पिता है। मौत के चंगुल से बाहर निकल कर आये पीड़ित अंसार का कहना है कि आरोपी अनूप गौतम पुलिस विभाग में तैनात है। पुलिस विभाग में होने के कारण आरोपी और स्थानीय पुलिस में बड़ी डील हुई है यही वजह है कि काकोरी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ नरमी दिखाई।
मुख्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से नाराज़ मृतक सूबेदार के परिजनों के साथ ही अन्य ग्रामीणों में भी आरोपी और स्थानीय पुलिस के खिलाफ नफरत की चिंगारी पैदा कर दी। नाराज़गी का आलम यह हो चुका है कि कभी भी भटट जमालपुर गांव में कोई हादसा हो सकता है। हालांकि मामले में स्थानीय पुलिस का अपना ही तर्क है। पुलिस का कहना है कि जो तहरीर दी थी उसी के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। जिन दो लोगों पर आरोप लगाए गए है उसकी जांच की जा रही है। आरोपी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि जब पीड़ित ने तहरीर 5 लोगों के खिलाफ दी थी तो 3 आरोपियों के खिलाफ ही पुलिस ने मुकदमा दर्ज क्यों किया।