कानपुर देहात (जनमत): उत्तर प्रदेश सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की जनता को राहत देने वाले निर्देश तो अक्सर अधिकारियों को देते रहे है लेकिन उनपर अमल कितना होता है इसके बारे में शायद सीएम योगी को भी नहीं पता होगा। हाल ही में सीएम योगी ने एक निर्देश दिया है कि जनपद के सभी बड़े अधिकारी सीयूजी नंबर को अपने पास रक्खें और जनता की समस्या को सुनने के लिए तय समय पर अपने कार्यालय में मौजूद रहे। सार्वजनिक तौर पर और अपने अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी के निर्देश और बातें कानों को तो फौरी तौर पर राहत दे सकती है लेकिन हकीकत काफी जुदा है। पीड़ित और फरियादी अधिकारियों के चक्कर लगाते – लगाते अपनी जान दे देते है लेकिन इसके बावजूद भी उनकी समस्या जस का तस बनी रहती है।
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात से जुड़ा हुआ है। यहाँ अपने ही घर से बेघर हो चुके बुजुर्ग हाड़ कंपा देने वाली ठण्ड में खुले आसमान के नीचे रात काटने पर मजबूर है। खुले आसमान के नीचे रात बिताने की बेबसी इसलिए भी है क्योंकि अधिकारियों की चौखट पर फरियाद लगाने के बाद भी पीड़ित बुजुर्ग की किसी अधिकारी ने कोई मदद नहीं की यही वजह भी है कि बेखौफ दबंगों ने न सिर्फ घर से बाहर निकाल दिया बल्कि उनकी गृहस्थी का सामान भी सड़क पर फेक दिया।
पीड़ित बुजुर्ग का नाम रामभरोसे है। रामभरोसे डेरापुर तहसील में थाना सिकंदराबाद के डेरापुर कस्बे के रहने वाले है। उम्र के आखिरी पड़ाव में इनका कोई भी अपना नहीं है। अगर अपनों की बात कही जाये तो भाई – भतीजो के अलावा इनका कोई भी सगा नहीं है। आरोप है कि इनके भतीजों ने ही इन्हे अपने घर से बेघर कर दिया। इस बात की शिकायत पिछले एक महीनें से वह लगातार संबन्धित अधिकारियों से करते रहे लेकिन किसी ने इनकी कोई मदद नहीं की। यही वजह थी कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते बेखौफ हुए दबंगों ने न सिर्फ रामभरोसे को घर से बेघर कर दिया बल्कि उनका सामान भी बाहर फेक दिया। घर से निकाले जाने के बाद रामभरोसे कड़कड़ाती ठण्ड में खुले आसमान के नीचे रात काटने पर मजूबर है। पीड़ित रामभरोसे के पडोसी भी बताते है कि बुजुर्ग के साथ बहुत गलत हुआ है। एक पडोसी ने बताया कि उनके सामने ही रामभरोसे के भतीजे कल्लू ने उनका सामान घर से फेक दिया और बुजुर्ग को भी धक्का मारकर घर से बाहर निकाल दिया।
इस मामले में उपजिलाधिकारी डेरापुर राजवंशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला पारिवारिक जमीनी विवाद का है। दोनों पक्षों को समझाया गया लेकिन बात नहीं बन पाई है। हालांकि राजवंशी इस बात का कोई जवाब नहीं दे सकें कि दबंगों द्वारा किसी बुजुर्ग को बलपूर्वक घर से बाहर निकाल देना और उनका सामान फेंक देना क्या वाजिब है। फिलहाल अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार हुए बुजुर्ग रामभरोसे अभी भी खुले आसमान के नीचे इस आस में रात काट रहे है कि शायद अधिकारी के रूप में कोई मसीहा उनके पास आये और उनकी समस्या का समाधान कर दें।