मनोरंजन जगत (जनमत) :- इस समय देश में #MeToo अभियान ने जहाँ भारत की बॉलीवुड इंडस्ट्री के काले चेहरे को सबके सामने उजागर किया और इस अभियान में महिलाओं ने आगे आकर अपनी आपबीती से सभी को अवगत कराया और इसके साथ ही खुद के साथ हुए उत्पीड़न का खुलासा किया। वहीं कई बड़े नाम इन आरोपों में घिरे हैं। जिसमे बड़े फिल्म डायरेक्टर और फ़िल्मी दुनिया की कई जान्ने माने नमो को कटघरें में खड़ा कर दिया|
वही अब इस #MeToo अभियान का असर अब कार्यस्थलों पर देखने को मिल रहा हैं मार्केट रिसर्च एंड एनालिसिस कंपनी वेलोसिटी एमआर द्वारा कराए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस #MeToo अभियान के कारण कार्यस्थल का औपचारिक संवाद अत्यधिक प्रभावित हुआ है।
रिपोर्ट में करीब 80 फीसद लोगों ने कहा कि नौकरी छूटने व पारिवारिक प्रतिष्ठा खोने का डर, सामाजिक कलंक और विभिन्न संशय जैसे कुछ कारण हो सकते हैं, जिनके कारण पीड़ितों ने पहले ऐसे मामलों को दर्ज करना उचित नहीं समझा होगा।
करीब 70 फीसद ने कहा कि मामला दर्ज करने के बाद भी पीड़ितों को असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। 50 फीसद लोगों ने पीड़ितों द्वारा मामले को बाद में दर्ज किए जाने को गलत कहा। पांच में से दो पुरुषों ने हालांकि पीड़ितों का यह कहकर समर्थन किया कि मामले को बाद में दर्ज किया जाना सही है।
वही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भले ही #MeToo अभियान के अधिकतर मामले मीडिया और बॉलीवुड से आ रहे हैं, पर वही करीब 77 फीसद प्रतिभागी दूसरे उद्योगों को भी सुरक्षित नहीं मानते हैं। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक 83 फीसद प्रतिभागियों का यह भी मानना है कि #MeToo अभियान के बाद कई मामले में गलत आरोप लगाए गए हैं।
वही कुछ लोगो का मानना है की इस अभियान के बाद माहौल में अच्छा बदलाव होगा। गौरतलब है कि कई महिला कलाकारों ने निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया हैl इस तहत कई दिग्गज बॉलीवुड कलाकारों के नाम उजागर हुए हैं और उन्हें अपने प्रोजेक्ट्स से हाथ धोना पड़ा है।
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