मनोरंजन (जनमत):- &TVके शो येशु में एक असाधारण परोपकारी बच्चे की कहानी दिखाने के साथ-साथ करुणा, दया, आशा, प्यार और क्षमा के गुणों को भी दिखाया गया है। 22 दिसम्बर को शुरू हुए प्रीमियर एपिसोड में, जोसफ (आर्य धर्मचंद) मेरी (सोनाली निकम) को पूरे अधिकार के साथ अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता है और उसके बाद भगवान के मार्गदर्शन के साथ येशु (विवान शाह)का जन्म होता है। जहां एक ओर, नवविवाहित जोड़ी के लिए ये खुशियों के पल हैं, तो वही दूसरी तरफ राजा हेरोड (दर्पण श्रीवास्तव) इससे काफी क्रोधित है। अक्सर उसे गांव के लोगो पर अत्याचार करते हुए देखा जाता है और उस जैसा शैतानी राजा और रूढ़िवादी शासक गांव वालो ने इससे पहले कभी नहीं देखा है।
येशु के आने से अपने शासनकाल पर खतरा मंडराते हुए देखकर, वह गांव के सभी नवजात बच्चों को मारने का आदेश देता है। हालांकि, येशु और उसका परिवार वहां से भागने में सफल होते हैं और वो एक गांव में शरण लेते हैं। शैतान अंकित अरोड़ा) राजा हेरोड को इस बात की जानकारी देता है कि उनका दुश्मन अभी भी जिंदा है। अब राजा हेरोड क्या करेगा? इस एपिसोड के बारे में बात करते हुए मेरी (सोनाली निकम) ने कहा, श्येशु का जन्म पूरे परिवार में खुशियां लेकर आता है, लेकिन मेरी के लिए ये पल सबसे खास होते हैं क्योंकि वह पहली बार अपने बेटे को गोद में लेती है। मां और उसके बेटे के बीच तुरंत ही एक खुबसूरत बॉन्ड बन जाता है क्योंकि वह उसे देखकर एक प्यारी सी स्माइल देता है।
इसके अलावा, एक तरफ जहां मेरी और जोसफ खुश हैं, तो वही समान रूप से इस बात को लेकर चिंतित भी होते हैं कि उनके नवजात बेटे येशु पर लगातार राजा हेरोड का खतरा मंडरा रहा है और वह येशु को हानि पहुचना चाहता है। येशु को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हुए, जोसफ और उसका परिवार येशु के साथ गांव छोड़ देता है और वो एक नई जगह पर जाकर रहने लगते हैं और एक नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं। हालांकि अब ये कोई रहस्य नहीं रहा है क्योंकि राजा हेरोड को वहां का पता लग जाता है जहां वो रहते हैं। आगामी एपिसोड्स में यह देखने लायक होगा कि क्या वो येशु को ढूंढने में कामयाब होगा।श् ‘येशु‘ विशेष रूप से एक परोपकारी बच्चे की कहानी है जो सिर्फ अच्छाई करना चाहता है और अपने आस-पास खुशियां फैलाता है।
सभी के लिए उसका प्यार और करुणा उन बुरी, शैतानी शक्तियों के लिये बिल्कुल विपरीत हैं, जो उनके जन्म और बचपन के दौरान मौजूद थीं। अपने परिवार और समाज पर होने वाले अत्याचारों ने उन्हें काफी प्रभावित किया। दूसरों की मदद करने और उनके दर्द को कम करने की कोशिश अक्सर उन्हें उस राह पर ले जाती थी जहां वह निश्चित रूप से आहत होते थे और न सिर्फ उत्पीड़कों बल्कि बड़ी संख्या में दूसरे लोगों द्वारा भी उनकी निंदा की जाती थी। लेकिन आखिरकार ये चीजें भी उन्हें उनके रास्ते पर चलने से नहीं रोक पाईं। येशु की कहानी अच्छाई बनाम बुराई के बीच की सिर्फ एक आदर्श कहानी ही नहीं है, बल्कि यह येशु और उनकी समर्थक एवं मार्गदर्शक बनीं उनकी मां के बीच के खूबसूरत रिश्ते को भी दर्शाता हैं|
Posted By:- Amitabh Chaubey