“औरत कभी खिलौना नहीं होती..वो मौत की गोद में जाकर जिन्दगी को जन्म देती हैं”…

Exclusive News JANMAT VICHAR

जनमत विचार (जनमत)  :अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज देश और दुनिया में नारी शक्ति को सलाम किया जा रहा है। जहां दुनिया में हर कोई अपने अंदाज में इस विशेष दिन को मना रहा है| दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए उनकी हर क्षेत्र में स्थापित उपलब्धियों को याद किया जाता है

इनमें भारत की जानी मानी बॉक्सर मैरी कॉम से लेकर जापानी कलाकार और गीतकार योको ओनो तक के कोट्स हैं जो महिलाओं को  सशक्त बनाने के साथ ही उनके उत्थान की बात भी करते हैं। अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता हैं तब एक आदमी ही शिक्षित होता हैं लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता हैं तब एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं औरत ही समाज की वास्तविक शिल्पकार हैं नारि प्रेम करने के लिए हैं समझने की वस्तु नहीं|

जब एक आदमी औरत से प्यार करता हैं उसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा देता हैं लेकिन एक औरत जब प्यार करती हैं तब अपना सब कुछ दे देती हैं किसी भी सभ्यता का आंकलन औरतो के व्यवहार से किया जा सकता हैं आदमी अपनी नियति को सम्भाल नहीं सकते हैं उनके लिए यह कार्य उनके जीवन से जुड़ी औरत करती हैं किसी भी समाज की उन्नति उस समाज की औरतों की उन्नति से मापी जा सकती हैं कोई भी राष्ट्र उन्नति के शिखर पर नहीं पहुँच सकता जब तक कि उस राष्ट्र में महिलाओं को समान अधिकार ना प्राप्त हो महिलायें कमाल होती हैं वह अपने चेहरे पर मुस्कान का मुखोटा पहने यह दिखाती हैं कि सब कुछ ठीक हैं पर वास्तविक्ता में उसके कन्धो पर दुनियाँ का बोझ हैं और उसका जीवन उसकी उँगलियों से पटाखों की तरह फिसल रहा हैं.

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की जड़ें एक दशक से भी अधिक पुरानी है। सबसे पहले 28 फरवरी, 1909 को, अमेरिका की पूर्ववर्ती सोशलिस्ट पार्टी ने न्यूयॉर्क में महिला दिवस का आयोजन किया था। इसके दो साल बाद, अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन ने सुझाव दिया कि महिला दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाना चाहिए। लेकिन, जब महिलाओं को सोवियत रूस में मताधिकार प्राप्त हुआ उसके बाद पहली बार 8 मार्च को 1917 को महिला दिवस मनाया गया। इस दिन से फरवरी क्रांति की शुरुआत हुई जो बाद में अक्टूबर क्रांति मिलकर रूसी क्रांति की शुरुआत का कारण बनी। इस दिन सोवियत रूस में छुट्टी घोषित कर दी गई। इस दिन के बाद यह दिन मुख्य रूप से समाजवादी आंदोलन और कम्युनिस्ट देशों द्वारा मनाया जाने लगा। अंततः इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में अपनाया गया।

जीवन का यही अनमोल सार- नारी नहीं थी कभी बेचारी”| क्योंकि नारी में निहित है इस सृष्टि की शक्ति सारी। मां के साथ ममता मिलती, बहन से मिलता हमेशा दुलार
नारी शक्ति को पूजनीय समझो, ये लगाती जीवन नैया पार

“मुस्कुराकर, दर्द भूलकर
रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी
हर पग को रोशन करने वाली
वो शक्ति है एक नारी” ||

भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे भोग की वस्तुसमझकर आदमीअपने तरीकेसे इस्तेमालकर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है।

नारी का सारा जीवन पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में ही बीत जाता है। पहले पिता की छत्रछाया में उसका बचपन बीतता है। पिता के घर में भी उसे घर का कामकाज करना होता है तथा साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखनी होती है। उसका यह क्रम विवाह तक जारी रहता है। “औरत कभी खिलौना नहीं होती वो तो परमात्मा के बाद वो व्यक्ति है जो मौत की गोदमें जाकर जिन्दगी को जन्म देती हैं”||

तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है लेकिन 
तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था”||

अमिताभ चौबे
chaubeyamitabh0@gmail.com