एक्सक्लूसिव न्यूज़(जनमत):- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मायनों में खास है। इस शहर को अदब और तहजीब के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यही नहीं लखनऊ अपने स्वाद के लिए खासतौर पर जाना जाता है। किसी समय में यह ‘नवाबों के शहर’ के नाम से विख्यात था। कहते हैं लखनऊ के लोगों में अजब सा अंदाज होता है और यहां के लोग बड़ी ही आसानी से लोगों के बीच में अपनी अलग पहचान बनाते और छाप छोड़ते हैं।
(मलिहाबाद कस्बे में स्थित पावन सरोवर का दृश्य)
आज हम आप को लखनऊ की कुछ खास बात बता रहे है जो शायद बहुत ही कम लोग जानते है| लखनऊ का मलिहाबाद कस्बे जो आमों के लिए पूरी दुनिया मै मशहूर है यहाँ से मात्र एक किमी की दुरी पर 1 पावन सरोवर भी है। कहते हैं कि श्री गोपेश्वरनाथ जी का मंदिर और सरोवर सबसे पहले अस्तित्व में आए। उसके बाद गोशाला बनी और फिर भक्तों की सभी चिंताओ को दूर करने वाले श्री हनुमान जी का स्थान वजूद में आया। लोगो का कहना है कि इस सरोवर में देश की जितनी भी पवित्र नदियों और समुद्र का जल घट में भरकर स्थापित किया गया था। मलिहाबाद के बुजुर्ग लोग का कहना है कि मंदिर और सरोवर का निर्माण करीब ढाई सौ वर्ष पहले हुआ।
(मलिहाबाद कस्बे में स्थित श्री हनुमान जी का मंदिर)
सरोवर का जल कभी सूखा नहीं। बाद में इसका जीर्णोद्धार भी हुआ। वर्ष 1999 में जब भगवन श्री राम महायज्ञ हुआ तो इसी महायज्ञ में यह निर्णय लिया गया की यहाँ एक ऐसी गोशाला बनाई जाए, जहां घायल, अशक्त और बेसहारा गोवंश की सेवा और उपचार इत्यादि किया जा सके। तब वर्ष भर के अंदर ही वर्ष 2000 में गोशाला बनकर तैयार हो गई। यहाँ के लोग बताते हैं कि 1 बार यहां सुंदरकांड का पाठ हुआ। तभी से यहाँ के लोगो ने फैसला किया कि श्री हनुमान जी को इस गोशाला में राजा के रूप में विराजमान किया जाया उस के बाद लोगो के सुझाव के बाद से यहाँ श्री हनुमान जी को इस गोशाला में राजा के रूप में विराजमान किया गया।
(मलिहाबाद कस्बे में स्थित मॉडल गोशाला)
इस मंदिर के चारों ओर कांच की दीवार है। गोशाला के प्रबंधक का दावा है कि यह अनूठा मंदिर है, जहां हनुमानजी के महाराजा स्वरूप के दर्शन होते हैं। ऐसा दर्शन केवल राजस्थान के सालासर में मिलता है। यहां की 1 खास परंपरा है कि अगर आप चाहें तो अपने शादी की सालगिरह, पूर्वजों की पुण्यतिथि और अपना जन्मदिन यहां मना सकते हैं। जिसके के लिए आपको गायों के 1 दिन के चारे की व्यवस्था करनी होती है और वही पर सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं। यह गोशाला प्रदेश की मॉडल गोशाला में से 1 है।
लखनऊ की इन जगहों को माना गया रहस्यमय
भूत और प्रेतों के बारे में बहुत से लोगों से आप ने बहुत सारी कहानियाँ सुनी होगी आगे अब हम आप को लखनऊ के ऐसी जगहों के बारे मै बता रहे है जहा आज भी लोगो का मानना है कि भूत और प्रेतों आज भी यहाँ मौजूद है| ऐसे स्थान को भुतहा या हॉन्टेड बोलते है। यह आपके घर और शहर के आस पास भी हो सकता है| भूत प्रेत एक ऐसी चीज़ है जो किसी के न होते हुए भी उसके होने का एहसास दिलाता हैं। लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल कभी कभी भुतों का बसेरा हुआ करता था। यह अस्पताल अतीत से जुड़े कई रहस्यमयी किस्सों ने जुड़ा है। ऐसी बातें सुनने में आती है कि इस अस्पताल में भूत-प्रेत भी डॉक्टर बनकर मरीजों का उपचार किया करते थे। ऐसे ही 1 पुरानी कहानी जो हम आप को बता रहे है कि 1 महीला जो की काफ्फी बीमार थी उस के परिवार वाले उसे लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में उस का ऑपरेशन करने आये थे| लेकिन उस समय अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। 1 डॉक्टर को बुलाया गया और जब डॉक्टर महीला के पास पहुंचे तो देखकर हैरान रह गए कि महीला का ऑपरेशन हो चुका था। यह ऑपरेशन किस ने किया यह बात किसी को नहीं पता था। अक्सर इस अस्पताल में अजीबो- गरीब आवाजें भी सुनाई देती थी। लेकिन अब अस्पताल में इस तरह की चीजें सुनने को नहीं मिलती हैं। देशभर में ऐसे कई स्थान हैं जहां भूतों का साया होने का दावा किया जाता है। किसी जंगल में, पेड़ पर या किसी घर में भूतों के होने के किस्से आपको हर शहर के प्रत्येक मोहल्लों में मिल ही आएंगे।
(लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल)
लखनऊ का ओइल हाउस से भी कई रहस्यमय किस्से जुड़े हुए हैं। लखनऊ का ओइल हाउस जिसके बारे में कहानी है कि जब अंग्रेज सैनिकों ने लखनऊ ने नवाब वाजिद अली शाह पर आक्रमण किया तब इसी भवन के एक कुएं में अंग्रेज सैनिकों को मारकर फेंका जाने लगा। इसके बाद से इस भवन में अंग्रेज सैनिकों की आत्माओं का कब्जा हो गया। लेकिन इस बात का पता उस समय चला जब लखनऊ यूनिवर्सिटी के अधिकारी को यह भवन रहने के लिए दिया गया। कुएं में मौजूद आत्माओं ने इनके बेटे को अपना शिकार बना लिया। इसके बाद कुएं को बंद करवा दिया गया। कहा जाता है कि इस भवन में आज भी अंग्रेज सैनिकों की आत्मा भटकती है। इस भवन में आज भी उन सैनिकों की रूह भटकती हैं। कुएं में मौजूद आत्माएं कई लोगों का अपना शिकार बना चुकी है। कहते हैं कि कई दिनों से खाली पड़े घर में भूतों का बसेरा हो जाता है। दरअसल, भूत कोई भी इंसान हो सकता है। बस फर्क यह होता है कि उसके पास अब वह शरीर नहीं होता जो हार्ड मास का बना है।
(लखनऊ का ओइल हाउस)
लखनऊ का रेलवे क्वार्टर भी भुतहा माना जाता है। यह भी 1 रहस्यमयी कहानी से जुड़ा है। कहा जाता हैं कि 1 इंजीनियर की शादी एक खूबसूरत लड़की से हुई थी जो एक अंग्रेज अधिकारी के प्रेम में पड़ गई। 1 दिन इंजीनियर ने अपनी पत्नी को उस अधिकारी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया और उसने क्रोध में अधिकारी की हत्या कर दी और खुद भी आत्महत्या कर लिया। यह हत्या औऱ आत्महत्या कांड लखनऊ रेलवे क्वार्टर में हुआ था। यहां आज भी कुछ लोग इंजीनियर की आत्मा की मौजूदगी की बात करते हैं।
(लखनऊ का रेलवे क्वार्टर)
लखनऊ का निराला नगर कालोनी भुतहा माना जाता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यहां पहले कब्रिस्तान हुआ करता था। जिसे उजाड़ कर कालोनी का निर्माण करवाया गया। यह पूरी कालोनी आत्माओं के कब्जे में, जहां बीच-बीच में अनोहनियां घटती रहती है। लोगों का मानना है कि कोलोनी की कुछ जगहें पर रात में के समय में अजीबोगरीब चीजें भी मिलना आम है।
(लखनऊ का निराला नगर कालोनी)
लखनऊ का सिकंदरा बाग जहां रात में अजीबो गरीब चीज के साथ अजीबो गरीब आवाजे भी सुनने को मिलती है| सिकंदर बाग आज नेशनल बॉटेनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट को अपने दामन में समेटे हुए है| लखनऊ का सबसे बड़ा नरसंहार सिकंदर बाग में हुआ था। जहां पर 1857 में अंग्रेज़ फौजों ने लाखों आज़ादी के सिपाहियों को गोलियों मौत के घट उतारा था। अंति संस्कार नहीं होने के कारण इनकी आत्मा यहां भटकती है।
(लखनऊ का सिकंदरा बाग)
लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार बड़ा इमामबाड़ा को भुलभुलैया के नाम से भी जानते हैं।इसे बेहद ही भूतहा माना जाता है। जानकारों के अनुसार यहां 1 गुप्त तहखान है जहां कैदियों को रखा जाता था। कहा जाता है कि इस तहखाने में लाखों की संख्या में कैद कैदियों की मौत होने लगी जिसके बाद से उनकी आत्मा यहां भटकती है। शाम के बाद यहां अजीबोगरीब आवाजें सुनना आम है।
(लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा)
राजधानी के कैसरबाग़ इलाके में मौजूद रेजीडेंसी अपने अन्दर कई रहस्य समेटे हुए है। वही आस पास के लोगो का कहना है कि अंदर से 1 आदमी अक्सर लोगों से सिगरेट और माचिस मांगते दिख जाता है। अगर उसे सिगरेट और माचिस दे दो तो वो पीछे पड़ जाता है। अगर न दो तो कुछ देर के बाद गायब हो जाता है।” कहा जाता हैं यहां वो कब्रिस्तान है, जिसमें 1857 की जंग में मारे गए अंग्रेजों को दफनाया गया था। जिसकी वजह से उनकी आत्माएं आज भी रात में भटकती हैं।
(लखनऊ के कैसरबाग़ इलाके में मौजूद रेजीडेंसी)
यहाँ कई सालो से चौकीदारी कर रहे चौकीदा ने बताया की वो अक्सर रात में बच्चे के रोने की आवाज़ सुनते है।” उन्होंने साथ ही साथ 1 कहानी और सुनाई कि 1971 में लखनऊ यूनिवर्सिटी के लाल बहादुर शास्त्री हॉस्टल के तीन दोस्तों में यहां अकेले रात गुजारने की शर्त लगी थी। तो उनमें से एक दोस्त ने शर्त मान ली और पूरी रात रेजीडेंसी में गुज़ारदी फिर दुसरे दिन वो वापस नही आया तो उसके दोस्तों ने जाकर देखा तो उसकी लाश वहां से मिली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला की उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी। ‘मौत के बाद की जिंदगी’ दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य है। इस गुत्थी को आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। यहां तक कि विज्ञान भी इस रहस्य के विषय में सटीक जानकारी नहीं देता।
Posted By:- Amitabh Chaubey