यूटिलिटी (Janmat News): देश में 97 हजार आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिन्हें प्ले स्कूल की तर्ज पर विकसित किए जाने की तैयारी है। महिला एवं बाल विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग ने आठ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम भी शुरू कर दिया है। यह कवायद तो पूर्व सरकार के समय से चल रही है, लेकिन इसे गति बीते छह महीने में दी गई। ऐसा करने के पीछे वजह तलाशी तो बताया गया कि आंगनवाड़ी केंद्रों में पहले से ही बच्चों से जुड़ी जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं। इसलिए इन्हें प्ले स्कूल के रूप में विकसित करने में आसानी होगी। इसके लिए विभाग ने नौ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी है। धार, सीहोर, मंडला, छतरपुर, सागर, पन्ना, रीवा, सतना व कटनी जिले के चार से पांच आंगनवाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल बनाया गया है।
इनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कटनी के एक आंगनवाड़ी केंद्र में कलेक्टर, आईएएस अफसर और एसएएस अफसरों ने अपने बच्चों का एडमिशन करवाया है। जिसको खासी सराहना मिल रही है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद भोपाल जिले के 1872 आंगनवाड़ी केंद्रों को भी प्री-नर्सरी स्कूल की तर्ज पर विकसित किए जाने का काम शुरू हो गया है। इस बारे में विभागीय मंत्री का कहना है कि इन केंद्रों से पढ़कर निकलने वाले बच्चों की नींव मजबूत होगी।
गरीब अभिभावकों का सपना पूरा होगा
आंगनवाड़ियों को प्ले स्कूल के रूप में विकसित करने से गरीब अभिभावकों का वह सपना पूरा होगा, जिसमें वे अपनेे बच्चों का बेहतर विकास करना चाहते हैं। इसका दूसरा फायदा यह है कि निजी प्ले स्कूलों की मॉनीटरिंग नहीं हो पाती, लेकिन आंगनवाड़ी केंद्रों की मॉनीटरिंग आसानी से होगी। इसे खासी सफलता मिल रही है और आईएएस अफसर भी अपने बच्चों का एडमिशन आंगनवाड़ी केंद्रों में करवा रहे हैं। इमरती देवी, मंत्री, महिला एवं बाल विकास विभाग
Posted By: Priyamvada M