**राजनीती में न कोई अपना न कोई बेगाना है, सत्ता की चौखट है और लालच का ज़माना है…….
चाचा – भतीजे का साथ लम्बा कहाँ रहा है,…सत्ता के लिए अपनों की “कुर्बानी ” का दौर पुराना है…..
राजनीती (जनमत) :- एक सस्पेंस फिल्म की तरह ही महाराष्ट्र की राजनीती में सरकार का गठन हुआ और सत्ता की सियासत में ऐसा उलटफेर हुआ कि हर कोई हैरान रह गया. आपको बता दे जहाँ रात की मीटिंग के बाद शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र में सत्ता की तकदीर लिख रही थी तो दूसरी तरफ भाजपा ने ऐसी चाल चली कि शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस चारों खाने चित हो गयी. भाजपा सत्ता की कुर्सी पर न सिर्फ काबिज हुई बल्कि अपने विपक्षीयों पर शिकश्त का वार भी कर दिया. जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीती में एक बार फिर भाजपा का भगवा लहरा गया और सीएम्- सीएम के खेल में कुर्सी लोगो के हाथ से निकल गयी. वहीँ इस सियासी जीत के बाद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और भाजपा के नेता चंद्रकांत पाटील की सरकार को लेकर भाजपा की ओर से की गयी भविष्यवाणी आखिरकार सही साबित हुई और सत्ता की कुर्सी पर एक बार फिर फडणवीस की वापसी के साथ भाजपा के राज्य का महाराष्ट्र में एक और अध्याय शुरू हो गया.
इस नवनिर्मित सरकार में सीएम भाजपा का ही है और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार को मिली है। हालाँकि शरद पवार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और भाजपा के साथ नहीं होने की बात भी दोहराई है। उन्होंने अजित के भाजपा के साथ जाने को उनका निजी फैसला बताया है जिससे फिलहाल वो अपना कोई वास्ता नहीं बता रहें हैं. पवार के मुताबिक अजित पवार के इस फैसले से एनसीपी और उनका कोई लेना-देना नहीं है। इससे इतना साफ हो गया है कि अजित पवार ने रातों रात पार्टी तोड़ दी और सुबह उप मुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली यह भी वास्तव में कहीं न कहीं हैरान करने वाला है । अजित पवार के बारे में कहा जा रहा है कि वह एनसीपी के 22 विधायकों को लेकर भाजपा के साथ चले गए हैं जो की हाल फिलहाल में यह आकड़ा 35 हो गया है और इस संख्या के और भी बढ़ने की बात कही जा रही है.
Posted By :- Ankush Pal , Correspondent…