प्रतापगढ़ (जनमत):- उत्तर प्रदेश की सरकार लाख दावा कर ले की सड़कों का मरम्मत और सीवर टैंक से लेकर की तमाम सारी योजनाएं की मरम्मत हो जाएगी लेकिन यहां के अधिकारी सिर्फ गोरे कागज के पन्नों पर ही सारा सिस्टम सिमट कर रह गया ।प्रतापगढ़ जिले की नगर पालिका अंतर्गत अंबेडकर चौराहा से बस अड्डा से होकर मीरा भवन जाने वाली सड़क सीवर टैंक का ढक्कन टूटने से राहगीरों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
जबकि बस स्टैंड से महज कुछ मीटर की दूरी पर फीवर टाइम का ढक्कन टूटा पड़ा है ।इसी रास्ते से तकरीबन जिले के आला अधिकारी भी गुजरते लेकिन उनकी आंखों पर पड़ी पट्टी ऐसे में रात और दिन भर रोड चलता रहता है। सवारियों से लेकर ई रिक्शा और भारी-भरकम गाड़ी भी गुजरती है जिससे कि हादसा भी हो जाता है। उसके बाद भी नगर पालिका और जल विभाग के लोग के कानों तक जू तक नही रेगी है। मामला अभी तक अधिकारी के कानों तक नहीं पहुंच पाया जिसकी वजह से टूटा पड़ा हुआ है।वही दुकानदार राकेश कुमार का कहना है कि इस पर ई रिक्शा और दो पहिया वाहन का आना जाना लगा रहता है दिन भर में इस सीवर टैंक के टूटे होने से आठ 10 लोग गिर कर घायल होते हैं। चाहे ई रिक्शा चालक हूं चाहे बाइक सवार लोग हैं नगर पालिका की लापरवाही है नाकामी और जीगता जकता या साबूत है। इसमें कितने बच्चे घायल होते हैं और कितने पैसेंजर गिरकर घायल होते हैं लेकिन देखने वाला कोई नहीं ना सुनने वाला है।
वहीं रिक्शा चालक दीपक कुमार का कहना है। कि सीवर टैंक का ढक्कन होने की कारण आने जाने में काफी दिक्कत होता है। इससे हादसा भी हो जाता है कभी-कभी यहां सुनने वाला कोई नहीं है। वही ई रिक्शा चालक हरिकेश कुमार ने बोले की आने जाने मे दिक्कत तो होती ही है। लेकिन करे तो क्या करे सब राम बरोसे है।वही जब इस मामले को लेकर के हम नगरपालिका के ईओ मुदित सिंह के पास गए थे उन्होंने कहा कि यह नगर पालिका के अंडर में नहीं आता और या जल विभाग के अंडर में आता है ।
आप उनसे संपर्क कर लीजिए और फिर हम जल विभाग के अधिकारी घनश्याम द्विवेदी के पास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि सीवर का जो प्रोजेक्ट टैंक है आज प्लांट में बना हुआ है कहां सीवर पड़ा हुआ है कोई इसका पता नहीं है खरे थे तो उन्होंने पूरा पैसा डायवर्ट कर लिया था पूरा काम हुआ नहीं प्लांट में भी फीवर नहीं पड़ा हुआ है जगह-जगह सीवर जो टूटा पड़ा हुआ है। मैनुअल कब टूट अगर मेरे जानकारी मे रहेता है। तो निश्चित तौर पर उसे बनवाया जाता है। उच्च अधिकारी से पैसे का बजट निकाल कर बनाया जाता है। मेरे संज्ञान मैं आपके द्वारा लाया गया है जूनियर इंजीनियर और ए को भेजकर देख कर जल्द से जल्द बना दिया जाएगा। फिर हाल गोलमोल जवाब देते अधिकारी नजर अब देखना एक होता है कि सीवर टैंक का ढक्कन कब बनकर तैयार होता है।