हेल्थ (Janmat News): गर्भावस्था और डिलिवरी के बाद सलाह-मशविरों की लंबी सूची-सी बन जाती है। घर के बड़े-बुज़ुर्गों के साथ-साथ नाते-रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग भी सलाह देने से नहीं चूकते। मां को खानपान की हिदायतों के साथ अपने अनुभव भी थोपने की कोशिश की जाती है। लेकिन क्या ये सलाह मेडिकल साइंस की दृष्टि से ठीक हैं? यहां हम पारंपरिक ज्ञान को चुनौती नहीं दे रहे, लेकिन याद रखिए कि जीवनशैली के साथ परिस्थितियां भी बदल गई हैं। फिर मेडिकल साइंस में हुए कई रिसर्च के निष्कर्ष हमारे सामने हैं जिन पर ज्यादा भरोसा किया जाना चाहिए।
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भ्रांति 1 : गर्भवती स्त्री को ठंडी तासीर वाले फल आदि नहीं खिलाने चाहिए। इससे गर्भवती महिला व बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।
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भ्रांति 2 : खाने में घी खूब खिलाना चाहिए। इससे बच्चा और मां दोनों तंदुरुस्त होंगे।
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भ्रांति 3 : सोनोग्राफी से गर्भस्थ शिशु को नुकसान होगा।
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भ्रांति 4 : मां (जच्चा)को चावल, रोटी और हरी सब्जियां नहीं देनी चाहिए। चावल खाने से स्तनपान करने वाले शिशु को सर्दी हो जाएगी। मां रोटी खाएगी तो शिशु के पेट में दिक्कत होगी। हरी सब्जियां खाएगी तो शिशु को हरे दस्त होंगे।
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भ्रांति 5 : मां को मलेरिया या टायफॉइड होने पर स्तनपान बंद नहीं किया तो शिशु को भी यह बीमारी हो जाएगी।
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भ्रांति 6 : भरी गर्मी में भी जच्चा को कपड़े से कान बांधे रखना चाहिए या शॉल ओड़े रखना चाहिए, अन्यथा जीवनभर के लिए दिमाग़ में हवा भर जाएगी व सिरदर्द होता रहेगा।
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भ्रांति 7 : मां को दूध कम आ रहा है। इससे शिशु का पेट नहीं भरेगा और इसलिए ऊपर का दूध शुरू कर देना चाहिए।
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भ्रांति 8 : डिलिवरी अथवा सीज़ेरियन के बाद काफी दिनों तक आराम करना जरूरी है।
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भ्रांति 9 : मां को कैल्शियम की दवा देने से बच्चे में भी कैल्शियम स्टोर होने लगेगा।
Posted By: Priyamvada M