महराजगंज पर मंडरा रहा है “बाढ़” का खतरा…

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महराजगंज (जनमत): एक तरफ असम और बिहार में बाढ़ से जहां जीवन अस्त व्यस्त हो गए हैं वही नेपाल से निकलने वाली नदियों से मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा  मड़रा रहा है।बात करे अगर यूपी के महराजगंज जनपद की तो पिछले कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से ग्रामीणों पर एक बार फिर बाढ़  का डर सताने लगा है, नेपाल के पहाड़ो में हो रही लगातार बारिश से जहां नेपाल से निकलने वाली नदिया और नाले खतरे के निशान से ऊपर बह रहे है वही महाव नाले का तटबंध दो जगहों पर टूटने से किसानों की हज़ारों एकड़ फ़सल का नुकसान हो गया है और अब बाढ़ का पानी गावो की तरफ तबाही लेकर बढ़ रहा है । वही चंदन नदी के उफान से ठूठीबारी इलाके के आधा दर्जन गाव प्रभावित हुए है।  जिले की गंडक,चंदन ,व्यास और रोहिन नदिया खतरे के निशान तक पहुंच गए है ।

बता दे कि महराजगंज जिले में कुल 6 नदिया नेपाल से होकर निकलती है। नेपाल में भारी बारिश और चेतावनी के बीच भारत नेपाल के सीमाई इलाके में चंदन नदी के उफनाने और महाव नाला के तटबंध टूटने से दर्जन भर गाव प्रभावित हुए है। जहां महाव नाले के तटबंध दो जगहों पर टूटने के बाद भी प्रशासन और सिंचाई विभाग ने अभी तक मरम्मत नही कराई जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने अपने ही संसाधन से बांध को बांधने का प्रयास कर रहे हैं वही इस पर सपा के पूर्व विधायक मुन्ना सिंह के मुताबिक एक सफ्ताह हो गया लेकिन जिले का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नही गया और सैकड़ों ग्रामीण मजबूर है और असहाय होकर अपनी फसलों को बर्बाद होते देखने को मजबूर है. वही ग्रामीणों के मुताबिक महाव नाले का तटबंध टूटने पर हज़ारों एकड़ फसल जलमग्न हो गयी है, दरअसल अभिलेखों में महाव को नदी की जगह नाले का रूप दे दिया गया जिससे सिंचाई विभाग द्वारा कोई कार्य ही नही कराया जाता है और हर वर्ष बाढ़ के समय तटबंध टूटता है और फसलों के साथ आसपास के गांवों का जीवन भी अस्त व्यस्त हो जाता है । ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि महाव नाले को नदी का नाम दिया जाए जिससे हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से बचने के लिए आवश्यक कदम उठायें जा सकें.

Posted By:- Ankush Pal

Correspondent,Janmat News.