जनमत विचार (जनमत) :- किसी की आँख ही नम हैं किसी के दिल में उलझन हैं… अब तो अपने जवानो को हुएं अपने ही दुश्मन हैं…. पुलवामा हमले में सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात यही थी की इस हमले से बारूद भले दुश्मनों ने दियें हों लेकिन इसका इस्तेमाल अपने घर के ही गद्दार ने किया वहीँ इस फिदाइन हमले ने जहाँ शरहदों की निगरानी कर रहें रणबांकुरों को शहीद कर दिया वहीँ एक गहरा सवाल भी खड़ा कर दिया.
जहाँ एक तरफ शहीदों की शहादत पर पूरा देश आंसू बहा रहा है. हर किसी को जवाब चाहिए की आखिर पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों की शहादत का बदला कब लिया जाएगा । सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले को लेकर शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों, शिक्षण संस्थानों और संगठनो ने शोक संवेदना व्यक्त की। देशवाशियों की जुबान पर आतंकवाद हाय-हाय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे हैं , हाथों में मोमबत्तियां और तख्तियां जो श्रद्धांजलि दे रहीं थी भारत के वीर जवानों और जवाब मांग रहीं थी देश की सरकार से की क्या अब केवल हम अपने शहीदों को श्रद्धांजलि ही देतें रहेंगे.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले में मारे गए सीआरपीएफ के शहीद जवानों के प्रति सबकी संवदेनाएं थीं। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, स्कूल-कॉलेजों में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जगह-जगह पुतले फूंके गए। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ के जवानों की आत्मा की शांति के लिए शुक्रवार को अधिकतर विभागों में श्रद्धांजलि सभाएं की गई।
वहीँ श्रद्धांजलि सभाओं के बाद विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने कैंडल मार्च निकाला। राजकीय के होम्योपैथी मेडिकल कालेज में शाम पांच बजे दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। आतंकवाद के खिलाफ मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की गई। सरकारी कार्यालयों में भी दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। अब सरकार को वो करना चाहियें जिसकी परिकल्पना कभी न की गयी हों.
वहीँ सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक इन आतंकवादी हमलो की केवल कड़ी निंदा की जाएगी… और कब तक देश अपने “लाल” को काल के गाल में भेजता रहेगा… आखिर कब तक…. खोता रहेगा अपने जवानों को। चूंकि जो राष्ट्र आतंकवादी हमलों की केवल निंदा करेगा… वो राष्ट्र कभी सुरक्षित नहीं हो सकेगा.
वहीँ शहीदों की सहादत का आलम यह था की लोगो के साथ ही बादल भी अश्क बहा रहें थे और जर्रा जर्रा आसुंओं में डूबा हुआ था. हम कब तक गर्व से कहेंगे की हमने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया …. हम शांतिप्रिय देश हैं… कहीं यह कहते कहते लोग हमें कायर न समझने लगे… हालाँकि देश की सरकार यह ज़रूर कह रहीं है की हम इस हमले का बदला लेंगे…. लेकिन देश के सब्र का बाँध अब टूट रहा है.. और इस बात को देश की सरकार को भी समझना चाहिए.
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बांकी यही निशां होगा”…!!! जो चले गएँ हैं हमारी सुरक्षा में अब उनकी “कुर्बानी” का बदला हमें लेना ही होगा…..क्योंकि दो मिनट के मौन से देश को हासिल न कुछ हुआ है… और न हासिल कुछ होगा…..!!!
अंकुश पाल
janmatankush @gmail.com