“होली” के त्यौहार के लिए “फाल्गुन” है तैयार… बहने वाली है रंगों की “बयार” ….

JANMAT VICHAR

जनमत विचार (जनमत) :- के रंग में रंगा तो ये सारा ज़माना है… कुछ तो ख़ास है होली के रंगों में….के हर उम्र का बाशिंदा “इसके रंगों का” दीवाना है…  हमारे देश को अगर त्योहारों का देश कहा जाएं तो ज्यादा बेहतर होगा. वहीँ देश में होली का त्योहार जहाँ एक तरफ भाईचारे का पैगाम लाता है, वहीँ दुश्मनों को भी आपस में गले मिला देता है. हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है.  पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन सबको रंग लगाया जाता है। वहीं इससे 8 दिन पहले यानी आज से होलाष्टक शुरू हो जाता है। होली के पहले 8 दिनों का समय होलाष्टक कहलता है। इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक भी खत्म हो जाता है। इस त्यौहार की शुरुवात के कई सौ सालो से चली आ रही है. वहीँ बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक होली के रंग में रंगें नज़र आते हैं.

इस साल होली पर ग्रह-नक्षत्र विशेष स्थिति में रहेंगे। इसलिए ज्योतिषीय नजरिए से ये त्योहार और भी खास रहेगा।हिन्दू कैलेंडर के इस बार होली में फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि का संयोग बन रहा है। इसलिए होलिका दहन 20 मार्च बुधवार को ही किया जाएगा और 21 मार्च को लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली का त्योहार मनाएंगे।  होली बुराई पर अच्‍छाई की जीत का त्‍योहार होली इस बार 20 और 21 मार्च को मनाया जाएगा। 20 मार्च, बुधवार को होलिका दहन होगा और 21 मार्च, गुरुवार को रंगों की होली खेली जाएगी। परंपरा अनुसार होलिका फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा के दिन जलाई जाती है और अगले दिन अबीर-गुलाल से होली खेलने की परंपरा है।

होली का पर्व हिंदू धर्म में बहुत मायने रखता है। इस दिन रंगों के आगे द्वेष और बैर की भावनाएं फीकी पड़ जाती हैं और लोग एक-दूसरे को प्‍यार से रंग लगाकर यह त्‍योहार मनाते हैं।

पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा दशा होने से होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 9:01 मिनट से मध्यरात्रि 12:20 मिनट तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि का आरंभ 20 मार्च को सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 21 मार्च को 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। होलिका दहन के दिन हर साल भद्रा लगता है और इस वजह से होलिका दहन की स्थिति भी बन जाती है। दरअसल भद्रा को विघ्नकारक माना जाता है।

इस समय होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती। इसलिए भद्रा काल को छोड़कर ही होलिका दहन किया जाता है। विशेष परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता  होलिका दहन के लिए पूजा करते समय होलिका पर हल्‍दी से टीका लगाएं। इससे घर में समृद्धि आती है। होलिका के चारों ओर अबीर गुलाल से रंगोली बनाएं और उसमें पांच फल, अन्‍न और मिठाई चढ़ाएं। होलिका के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करके जल अर्पित करें। होलिका दहन का पर्व पौराणिक घटना से जुड़ा हुआ है। इस दिन बुराई पर अच्‍छाई की जीत हुई थी। भगवान विष्‍णु के भक्‍त प्रह्लाद को होलिका की अग्नि भी जला नहीं पाई . इसी की याद में होली का त्यौहार अच्छाई की जीत और बुराई की हार की याद में मनाया जाता है.

होली के कुछ दिन पहले से ही लोगो में जहाँ त्यौहार का खुमार चढ़ जाता है वहीँ दूसरी तरफ बाज़ारों में रौनक भी बढ़ जाती है. इसी के साथ ही इस त्यौहार की सबसे ख़ास बात यह है की  जहाँ एक तरफ यह भाई चारे का सन्देश देता है वहीँ दूसरी तरफ लोग अपने बीच की बुराई और दुश्मनी को भी होली की आग के साथ तिलांजली दे देंतें हैं. सभी देशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!!

अंकुश पाल

janmatankush@gmail.com