हेल्थ (जनमत): देश में लगभग 1.44 करोड़ बच्चे अधिक वजन वाले हैं। अधिक वजनी मोटे बच्चों के मामले में चीन के बाद दुनिया में भारत का दूसरा नंबर है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के वैज्ञानिकों ने बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ाने वाले जीन का पता लगा लिया है। उनका कहना है कि विशेष तरह का एफटीओ जीन जिसे सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलिमोर्फिज्म कहते हैं, बच्चों के खान-पान को प्रभावित करता है। इससे आगे चलकर उनका वजन बढ़ने या मोटापे का शिकार होने का पता लगाया जा सकता है।
पाच से 10 साल के 122 बच्चों पर हुए शोध से पता चला है कि एफटीओ जीन के कारण बच्चे अधिक कैलोरी ग्रहण करने लगते हैं। ऐसे में आगे चलकर उनका वजन बहुत बढ़ सकता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि हमारी कोशिश बच्चों को मोटापे के खतरे से बचाना है। यदि उनके शरीर या बर्ताव में होने वाले बदलाव का पता पहले चल जाए तो उन्हें मोटापे का शिकार होने से बचाया जा सकेगा।’
6 बातें मोटापे और उसके समाधान से जुड़ीं
- डायटीशियन डॉ. प्रीति विजय के मुताबिक, मोटापे का बच्चों की सेहत के साथ ही उनके मनोविज्ञान पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बचपन का “बुढ़ापा’ एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चों का वजन उनकी उम्र और कद की तुलना में ज्यादा बढ़ जाता है। भारत में हर साल बच्चों में मोटापे के बड़ी संख्या में मामले सामने आते हैं। इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इलाज काफी हद तक मदद कर सकता है।
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समझें क्यूट और मोटे बच्चे का फर्क
बचपन का मोटापा आगे बढ़कर डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है। ज्यादातर माता-पिता उन्हें छोटे और गोलमोल रूप में देखना पसंद करते हैं। पेरेंट्स के हिसाब से गोलमोल बच्चे क्यूट होते हैं, लेकिन क्यूट बच्चा होना अलग बात है और ‘मोटा बच्चा’ होना दूसरी बात है। इस अंतर को समझना होगा।
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जंक फूड से अधिक मिलती है कैलोरी
विशेषज्ञ बताते हैं कि जंक फूड एवं पैक्ड फूड में नमक, फैट एवं कोलेस्ट्रॉल अधिक होता है। उम्र के हिसाब से अधिक मात्रा में कैलोरी शरीर में पहुंचती है, जो धमनियों में जमने लगती है। इसकी वजह से हार्ट और ब्रेन का रक्त संचार प्रभावित होता है। इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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खतरनाक बीमारियों का कारण बन रहा मोटापा
मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों में स्लीप एप्निया जैसे रोग और सामाजिक व मनोवैज्ञानिक समस्याएं अधिक हो सकती हैं, जिससे उन्हें आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है। वहीं हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, कब्ज का खतरा बना रहता है।
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बचपन से ही बीएमआई चेक करें
विश्व स्तर पर लगभग दो अरब बच्चे और वयस्क मोटापे से पीड़ित पाए गए हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि आजकल बच्चों में मोटापे की वृद्धि दर वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक है। बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई को मापकर बचपन में मोटापे की पहचान की जा सकती है। 85 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक बीएमआई वाले बच्चे मोटापे से ग्रस्त माने जाते हैं। ओवरवेट और मोटापे से ग्रस्त बच्चे अपेक्षाकृत कम उम्र में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे डायबिटीज और हार्ट डिसीज की चपेट में आ सकते हैं।
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बच्चों की अनहेल्दी आदतों से ऐसे निपटें
- शुरुआत में ही स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करें।
- उन्हें अधिक कैलोरी वाले फूड कम ही दें।
- उच्च वसायुक्त और उच्च चीनी या नमकीन वाले नाश्ते को सीमित ही रखें।
- बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने का महत्व बताएं।
- प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की तेज शारीरिक गतिविधि में बच्चों को भी शरीक करें।
- बच्चों को अधिक समय तक एक स्थान पर बैठने से रोकें।
Posted By: Priyamvada M