हेल्थ (जनमत) : पानी कितना पीना चाहिए, यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। फिर भी स्वस्थ किडनियों वाले एक वयस्क व्यक्ति को दिनभर में दो से ढाई लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। लेकिन पानी पीने के भी अपने नियम हैं। हमारी अच्छी सेहत बहुत कुछ इन नियमों पर भी निर्भर करती है। हेल्थ एंड वेलनेस एक्सपर्ट डॉ. शिखा शर्मा आज बात कर रहीं हैं पानी पीने के ऐसे ही 5 प्रमुख नियमों की…
नियम 1: खड़े होकर नहीं, हमेशा बैठकर पिएं
अगर दो घूंट भी पानी पीना हो तो भी बैठकर पिएं। आयुर्वेद में भी खड़े होकर पानी पीना निषेध माना गया है। जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो उससे शरीर में लिक्विड बैलेंस बिगड़ जाता है। इससे हमारे जोड़ों (ज्वॉइंट्स) में द्रव्य जमा होने लगता है, जो आर्थराइटिस की आशंका को बढ़ा देता है। जब हम बैठकर पानी पीते हैं तो उससे हमारी नर्व्स रिलैक्स्ड होती हैं और हमारा पाचन तंत्र भी पोषक तत्वों को कहीं बेहतर ढंग से अवशोषित कर पाता है। इसी तरह किडनियां भी इस तरह से पिए गए पानी को बेहतर तरीके से प्रोसेस कर पाती हैं।
नियम 2 : एक बार में नहीं, थोड़ा-थोड़ा पिएं
जिस तरह एकसाथ बहुत सारा खाने के बजाय उतना ही खाना अलग-अलग हिस्सों में बांटकर खाना फायदेमंद होता है, यही बात पानी पर भी लागू होती है। एक बार में ही बहुत सारा पानी पीने के बजाय कम मात्रा में थोड़े-थोड़े अंतराल पर लगातार पीते रहना बेहतर है। उदाहरण के लिए, आधे लीटर पानी को एकसाथ पीने के बजाय इसी पानी को तीन से चार घंटों में 5 या 6 बार में पिएं। ऐसा करने से पानी में मौजूद पोषक तत्व अच्छे से अवशोषित हो पाएंगे और पेट फूलने, गैस और हाइपरटेंशन की समस्या की आशंका कम रहेगी।
नियम 3 : खाने के एकदम पहले और बाद में न पिएं
खाना खाने के बाद उसे पचाने वाले एंजाइम्स रिलीज़ होते हैं। ऐसे में अगर तुरंत पानी पी लेंगे तो उनका असर कम हो जाएगा और खाना ठीक से पच नहीं पाएगा। अगर यही आदत लगातार बनी रही तो पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि चाहे ब्रेकफास्ट हो या लंच अथवा डिनर, खाने के बाद कम से कम 45 मिनट तक पानी ना पिएं। इसी तरह खाने से पहले भी मील्स और पानी पीने के बीच करीब 30 मिनट का गेप दें।
नियम 4 : ऊपर से पानी न पिएं, चुस्कियां लेते हुए पिएं
कई लोगों की आदत होती है, खासकर ऑफिस में कि वे बोतल से आसमान की ओर मुंह कर पानी गटकते जाते हैं। इससे पानी पेट में तेजी से जाता है और वह हमारे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा ऐसी स्थिति में पानी के साथ कुछ मात्रा में हवा भी पेट में जाती है। इससे पाचन के कमजोर होने और पेट फूलने की समस्या हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि पानी हमेशा गिलास से सिप लेते हुए वैसे पिएं, जैसे चाय-कॉफी पीते हैं। बोतल से भी पीना हो तो अपनी पर्सनल बोतल रखें और उससे भी मुंह लगाकर ही पिएं।
नियम 5 : ठंडा नहीं, रूम टेम्परेचर वाला पानी ही पिएं
पानी हमेशा वही पिएं जो कमरे के तापमान पर रखा हुआ है, न कि रेफ्रिजरेटर से निकला हुआ एकदम ठंडा पानी। एकदम ठंडा पानी आपकी पाचन प्रणाली को बिगाड़ सकता है और शरीर द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। आयुर्वेद में भी हमेशा गुनगुना पानी पीने की ही सलाह दी जाती है। गुनगुना पानी शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वजन को नियंत्रित रखता है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखकर दिल को हेल्दी बनाए रखता है। गर्मियों में आप मटके में रखा पानी पी सकते हैं।