देश-विदेश (जनमत) :- उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेशवर राव द्वारा बिना इजाजत मुजफ्फरपुर आश्रय गृह के जांच अधिकारी का सीआरपीएफ में तबादला करने के मामले में न्यायालय ने अवमानना का दोषी माना है. जिसके चलते हें न्यायालय ने राव पर सख्ती दिखातें हुए सवाल किया की आपने ट्रांसफर से पहले इजाजत क्यों नहीं ली। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राव और अभियोजन निदेशक धांसू राम से कहा- अदालत के एक कोने में चले जाएं और कार्यवाही खत्म होने तक वहां बैठे रहें।
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सजा के साथ ही उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राव और सीबीआई के विधि अधिकारी ने अदालत की अवमानना की है। बिना इजाजत जांच अधिकारी का तबादला करना यदि यह अवमानना नहीं है तो क्या है? न्यायालय ने कहा – उनका रवैया कुछ ऐसा रहा है कि मुझे जो करना था, वह मैंने किया है। इसी के साथ ही न्यायालय ने राव को अदालत की आज की कार्यवाही खत्म होने तक हिरासत में रहने की सजा सुनाई है.