देश/विदेश (जनमत) :- स्वायत्त संस्थाओं की ताक़त उन्हें संचालित करने वाले अधिकारीयों के पास ही होती इस बात को सही साबित करने वाले और मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन के बारे में उस वक्त कहा जाता था कि देश के नेता केवल दो चीजों से डरते हैं, पहला भगवान और दूसरा शेषन। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि आई ईट पॉलिटीशियंस फॉर ब्रेकफास्ट यानी मैं नाश्ते में राजनीतिज्ञों को खाता हूं, लेकिन शेषन का मानवीय पक्ष भी था। वो कर्नाटक संगीत के शौकीन थे। उनको इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जमा करने का शौक था। शेषन की जीवनी लिखने वाले गोविंदन कुट्टी बताते हैं कि वे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स इस्तेमाल करने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ देखने के लिए खरीदते थे।
साथ ही बताया कि उनके पास चार टेलिविजन सेट्स थे और उनकी हर दूसरी मेज या अलमारी पर एक स्टीरियो रिकॉर्डर रखा रहता था। उनका फाउंटेन पेन का संग्रह तो नायाब था।एक और दिलचस्प बात भी उनके बारे में कही जाती है कि जो भी बच्चा उनके घर आता था, उसे वे अक्सर एक पेन भेंट में देते थे, जब कि वो खुद बेहद साधारण बॉलपेन से लिखते थे। वो एक बहुत मामूली घड़ी पहनते थे, वो भी सिर्फ व्यस्क होने के प्रतीक के तौर पर, जब कि उनकी अलमारी में दुनिया की एक से एक मंहगी घड़ियाँ पड़ी रहती थीं। चीजे जमा करना उनका शौक था, उनका इस्तेमाल करना नहीं। शेषन ने अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल गुलशेर अहमद में से किसी को नहीं बख्शा और अपने कार्यकाल के दौरान ख़ासा सुर्ख़ियों में भी रहें.
Posted By :- Ankush Pal