देश/विदेश (जनमत) :- पूरी दुनिया को हिला देने वाली कोरोना वायरस को लेकर किए जा रहे अध्ययन में हर रोज नई-नई चीजें सामने आ रही हैं। ऐसे ही एक अध्ययन में सामने आया है कि सामान्य बातचीत के दौरान सांस के साथ निकलने वाली छोटी बूंदें (रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट) हवा में आठ मिनट और इससे ज्यादा समय तक भी रह सकती है। अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड किडनी डिसीज’ और पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह अध्ययन किया है।
वहीँ इस अध्ययन में इस बात को समझने पर जोर दिया गया है कि आखिर अस्पतालों, घरों, आयोजनों और क्रूज जैसे सीमित हवा वाले स्थानों पर संक्रमण इतनी तेजी से क्यों फैला। इस अध्ययन के दौरान एक प्रयोग किया गया, जिसमें इंसानों के बोलते समय मुंह से निकलने वाली छोटी बूंदों पर लेजर लाइट का प्रयोग किया गया। इस अध्ययन में सामने आया कि बोलते समय हर सेकेंड हजारों छोटी बूंदें मुंह से निकलती हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि अगर ये बूंदें किसी संक्रमित व्यक्ति की हुई तो वहां मौजूद स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। इसलिए सावधान हो जाएँ और अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें.
PostedBy:- Ankush Pal
Correspondent, Janmat News.